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________________ ६७४ ] व्रत कथा कोष समाचार प्रधान मन्त्री को ज्ञात हुए पर पुत्र-मोह से पिता दुखी होंगे यह सोच उसने हकीकत नहीं बतायी। तब उस मरिण केतु देव ने ब्राह्मण रूप धारण किया और चक्रवर्ती के पास गया और रोते हुए भी हकीकत नहीं बतायी परन्तु बोला मेरा एक ही पुत्र था, वही कमाकर खिलाता था, किन्तु दुर्भाग्य से वह मर गया । अब वह मुझे कैसे प्राप्त होगा यह मुझे चिन्ता हुई है। इसको आप ही दूर कर सकते हैं । दूसरा कोई नहीं कर सकता है । इसलिये मैं आपकी शरण में आया हूँ । इसलिये आप कुछ उपाय मुझे बतायो ऐसी मेरी विनती है । ऐसा सुनकर चक्रवर्ती को बड़ी हंसी आई और उन्होंने कहा हे विप्र महाराज ! आप बड़े भोले हैं। जो मरण को प्राप्त होता है वह वापस जीवित कैसा होगा । काल सबको आता है चाहे वह छोटा हो चाहे वह बूढ़ा हो चाहे जवान हो । वह जीवित कैसे होगा । अब थोड़े ही दिन में तुम्हें भी काल नहीं छोड़ेगा। यदि आप भी अपनी रक्षा चाहते हैं तो जिनदीक्षा धारण करो इसी में आपका आत्म-कल्यारण है । यह सब सुन बाह्मण बोला कि यदि काल किसी को नहीं छोड़ता तो फिर एक आवश्यक बात है उसे सुनो मैं कहने के लिये भूल गया था मुझे क्षमा करो। जब मैं आ रहा था तब लोग आपस में बोल रहे थे कि बहुत बुरा हुआ । महाराजा के साठ हजार पुत्र कैलाश पर्वत के चारों तरफ खाई खोदने गये थे वे सब अचानक मरण को प्राप्त हुये। इतना वाक्य पूरा राजा ने सुना नहीं कि राजा को चक्कर आ गया, मूच्छित होकर गिर गये तब सेवकों ने उनका शीतोपचार किया जिससे राजा की मूर्छा दूर हुई। तब समय पाकर विप्र ने इस क्षणिक संसार से वैराग्य उत्पन्न होने वाला धर्मोपदेश दिया। जिससे उस ब्राह्मण वेषधारी देव का कार्य सिद्ध हो गया। फिर जिसके मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ है ऐसे चक्रवति ने अपने पुत्र भागोरथ को राज्य देकर दृढ़धर्म केवली के पास निग्रंथ दीक्षा ली । तब उस विप्र ने कैलाश पर्वत पर जाकर उन सब पुत्रों को सचेत करके उनसे कहा हे राजपुत्रो ! आपके पिताजी आपके मृत्यु के समाचार सुनकर अत्यन्त दुःखी हुये और विरक्त होकर जिनदीक्षा ग्रहण करली, इसलिए मैं आपका पता लगाते-लगाते यहां आया हूं इसलिये आप जल्दी ही अपनी नगरी में जानो। यह सुन उन्हें बहुत दुःख हुआ
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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