SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 719
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६६० ] वत कथा कोष "महाभागे तू कष्ट मत है, तेरा धर्माचरण में जानती हूं, जिससे तेरा कल्याण हो, ऐसा बोलकर पद्मावती चली गई । कर दुःख मत कर तेरा दरिद्रपना अब जा रहा एकनिष्ठ होकर तू जिन परमात्मा का चिंतन कर जब उसकी नींद खुली तो देखती है कि अपने बच्चों का रूप बदला हुआ है, उनके शरीर पर वैभव नाच रहा है । छोटा घर था पर अब बहुत बड़ा घर हो गया है लक्ष्मी से पूरा घर भरा पड़ा है। जहां दो समय का भोजन भी मुश्किल था वहां पंचपकवानों से थालियां भरी पड़ी हैं । इस प्रकार उसकी दरिद्रता चली गयी यह बात पूरे शहर में फैल गयी । यह बात उसके भाई को भी ज्ञात हो गई । वह उसके पास आया और उसका वैभव देखकर प्राश्चर्यचकित हो गया । उसने भोजन के लिये बहन को अपने घर बुलाया । वह उसके घर पर गई पर जाते समय बहुत से श्राभूषण लेती गई, जब भोजन करने बैठी तो पहले अपनी शाल निकाली और एक-एक अलंकार निकालते हुए परोसी हुई थाली में प्रत्येक पदार्थ पर एक-एक अलंकार रख दिया, तब भाई ने पूछा यह क्या कर रही हो भोजन नहीं करोगो क्या ? तब वह बोली " आपने जिसको भोजन करने बुलाया है वह भोजन कर रहा है ।" उसका भाई यह बात समझा नहीं । तब उसने कहा "भाई ! तेरा निमंत्रण मुझे नहीं था सिर्फ लक्ष्मी को था । मैं दरिद्री हो गई थी तब तुमने अपमान करके मुझे निकाल दिया था । अब मेरे पास वैभव हो जाने पर भोजन पर बुलाया है वही तेरा खाना खायेंगे, मैं तो जा रही हूं । तब उसके भाई ने उसके पैर पकड़ लिये और क्षमा मांगी बहन स्वभाव से ही दयालु स्वभाव की थी, उसने अपने भाई को गले लगा लिया और दोनों ने प्रानंद से भोजन किया | बाद में भाई ने भी यह व्रत लिया । फिर वह तीर्थयात्रा को गई, उसने चतुविध संघ को दान दिया, धर्म की उत्तम प्रभावना की और बाद में जिनदीक्षा लेकर घोर तपश्चर्या की जिसके फल से स्त्रीलिंग छेद कर स्वर्ग में जन्म लिया, वहां की आयु पूर्ण कर मनुष्य जन्म लेकर मोक्ष गई ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy