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व्रत कथा कोष
(३) लघु सुख सम्पत्ति व्रत-किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तक १६ दिन में १६ उपवास करना चाहिये, यह व्रत सिर्फ एक वर्ष करे । पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिए और त्रिकाल णमोकार मन्त्र का जाप करना चाहिए।
-क्रियाकोष किसमसिंह कृत लघु सम्पत्ति व्रत की विधि गोविंद कवि ने अपने व्रत संग्रह में अलग ही बतायी है, उसमें पंचमी के ५ मौर १०मी के १० इस प्रकार १५ प्रोषध करना पूर्ण होने पर उद्यापन करना।
सुदर्शन तप व्रत सम्यग्दर्शन के तीन भेद : औपशमिक, वेदक और क्षायिक, उसमें प्रत्येक भेद के आठ अंग हैं, वे सब मिलकर २४ होते हैं । उसके उद्देश्य से २४ उपवास प्रोषधोपवास से करना चाहिये । यह कभी भी कर सकते हैं, उसका नियम नहीं है।
कथा
यह व्रत सुमीसा नगरो में प्रतिजय राजा के मन्त्री अमृतमति उसकी स्त्री सत्यभामा । उसका पुत्र प्रहासित उसका मित्र विकसित । इन दोनों मित्रों ने मतिसागर मुनि के पास यह व्रत लिया था और इसका यथाविधि पालन किया था जिससे समाधिमरण करके वे महाशुक्र नाम स्वर्ग में देव हुये ।
-महापुराण पर्व ७वां
सूत्र व्रत श्रावण कृष्ण १ से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक हर रोज मौन लेकर एकाशन करना।
दूसरी विधि-सूत्रों की संख्या ११ । उतने उपवास एक महीने में करने के बाद १७ दिन बचे हुये में एकाशन करना चाहिए। इस प्रकार बारह महीने मौन रखकर उपवास एकाशन करना पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिये ।
सप्तभंगी व्रत इस व्रत में एक उपवास करके पारणा करना चाहिये, फिर दो उपवास