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________________ व्रत कथा कोष में सौंत दिया, दासी ने उस नवजात कन्या, को नगर के बाहरी उद्यान में अति दूर एक पेड़ के नीचे वस्त्र बिछा कर सुला दिया, और वापस लौटकर आ गई, थोड़े समय के बाद दो मार्यिकाएं वहां शोच-क्रिया के लिए, गई थीं, सो उस बालिका को सायिकानों ने देखा, उसो समय उस छोटी सी कन्या को लेकर अपने स्थान पर वापस लौट आई, प्रायिकाओं ने भी श्रावकों के यहां से दूध वगैरह मंगवाकर पालन-पोषण किया और उसका नाम मदनावलो रखा। इधर वह रानी पहले के समान ही वापस रूपवती हो गई, यह जानकर राजा रानी को वापस राजमहल में ले गया, और सुख से दोनों समय निकालने लगे। इधर वह मर्दनावली दस वर्ष की होकर आनन्द से क्रीड़ा करने लगी। 33s एक दिन प्रायिका माताजी पाहार के लिए नगर में गई थी और इधर मदनावली के आगे पद्मावती देवी प्रत्यक्ष प्रकट होकर कुमारी मदनावली को कहने लगी कि हे बालिके ! तुम शुद्धः दशमी व्रत का पालन करो जिससे कि तुमको श्री सम्पत्ति सुख प्राप्त होगा, ऐसा कहकर देवी अदृश्य हो गई । प्रायिका- माता जी को लड़की ने सब वृतांत कह सुनाया, यह सुनकर आर्यिकाजी को बहुत प्रानन्द हुआ। दूसरे दिन फिर माताजी आहार के लिये नगर में गई, पीछे से फिर मदनावली के सामने देवी प्रकट होकर कहने लगी कि हे मदनावली मैं तुमको शुद्ध दशमी व्रत को विधि कहती हूँ सुनो, ऐसा कहकर देवी ने पूर्ण व्रत विधि का स्वरूप कहा और अदृश्य हो गई, जब आर्यिकाजी आहार करके वापस आयीं, तो मदना वली ने पीछे घटने वाली घटना को कह सुनाया, माताजी ने उसको आशीर्वाद दिया, मदनावली विधि से व्रत को पालने लगी। .......? ___एक समय राजा के पुत्र को सौंप ने काट खाया और पुत्र मर गया। उस पुत्र के ऊपर माँ का बहुत प्रेम था, इसलिए मां, रानी उस पुत्र का संस्कार नै होनी दे रही थी, तब मन्त्रीवर्ग ने विचार करके एक गाड़ी में एक हजार स्वर्ण मोहरें भरकर नगर में सूचना करवाई कि जो कोई राजकुमार को जिन्दा कर देगा उसको ये एक हजार सुवर्ण मोहरें दी जायेंगी, यह सब समाचार मद्नावली ने सुना,
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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