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व्रत कथा कोष
और राज सेबकों के साथ राज महल में गई और कहने लगी कि आप लोग इस प्रत ( शव ) का दाहसंस्कार न करते हुए, इसको जिन मन्दिर के समीप ले चलो ।
तब मृतक राजकुमार को उठाकर मन्दिर के समीप योग्य स्थान पर सेवकों की सुरक्षा में रखा, मन्दिर में जाकर मदनावली अपने मन में परमात्मा का चितवन करने लगी, उस समय पद्मावति देवी का श्रासन कंपायमान हुआ, तत्क्षण देवी वहां आकर मदनावली को कहने लगी कि तुम चिन्ता मत करो, भगवान का पंचामृत अभिषेक करके (पार्श्वनाथ ) उस अभिषेक को राजकुमार के ऊपर डालो, राजकुमार जिन्दा हो जाएगा, ऐसा कहकर देवी अदृश्य हो गई ।
तब मदनावली ने विधिपूर्वक पार्श्वनाथ का अभिषेक करके राजकुमार के ऊपर गंधोदक का छिड़काव किया, राजकुमार का शरीर तत्क्षण निर्विष हो गया और राजकुमार उठकर जिन मन्दिर में गया और भगवान को नमस्कार करने लगा, यह सब वार्ता सेवकों ने राजा को जाकर कही राजा मन्त्री आदि सब जिन मन्दिर में आये, उस लड़की का परिचय पूछा, मदनावली ने व्रत का माहात्म्य सबको कह सुनाया, व्रत का माहात्म्य सुनकर सबको बहुत श्रानन्द हुआ, सब लोग नगर में वापस आ गये, आगे मदनावली आर्यिका दीक्षा लेकर तपस्या करने लगी, अन्त में समाधिमरण कर स्त्रीलिंग को छेद स्वर्ग में देव हुई ।
अथ शुक्ललेश्या निवारण व्रत कथा
विधि :- पहले के समान सब विधि करे अन्तर केवल इतना है कि वैशाख शुक्ला ४ के दिन एकाशन करे, ५ के दिन उपवास करे, रत्नत्रय की पूजा, मन्त्र, जाप, मण्डला आदि करे । पूर्ववत् विधि करे ।
श्रथ शोककर्म निवारण व्रत कथा
विधि :- पहले के समान सब विधि करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि चैत्र कृष्ण ७ के दिन एकाशन करे, अष्टमी के दिन उपवास करे, अरनाथ भगवान तीर्थंकर की पूजा, मन्त्र, जाप, मांडला आदि करे ।
शांतिनाथ तीर्थंकर चक्रवति व्रत कथा प्रथवा सकलैश्वर्यभूषण व्रत कथा
व्रत विधि :- प्राश्विन कृष्ण ३० के दिन एकभुक्ति करे और कार्तिक