SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 644
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्रत कथा कोष ५८५ ३ के दिन एकाशन करे । ४ के दिन उपवास पूजा श्राराधना व मन्त्र जाप आदि करे । पत्ते मांड़ें | शील कल्याण व्रत मनुष्यनी, तिर्यंच, देवाङ्गना व अचेतनस्त्री ये चार प्रकार की स्त्रियों को ५ इन्द्रिय व मन वचन काय और कृतकारित अनुमोदना इस का परस्पर में गुणा करने से १०८ भंग होते हैं उनके उपवास अर्थात् एक उपवास एक पारणा इस प्रकर ३६० दिन तक करना । व्रत के दिन पञ्च नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप करना । शील व्रत शील व्रत एक वर्ष में पूर्ण किया जाता है । वर्ष के ३६० दिनों में एकान्तर से उपवास करने चाहिए । सम्पूर्ण शील का पालन करना इस व्रत के लिए अनिवार्य है । बात यह है कि देवी मनुष्यणी, तिर्यञ्चरणी और अचेतन इन प्रकार की स्त्रियों को पांच इन्द्रिय तथा मन, वचन, काय और कृतकारित अनुमोदना से गुणा करे तो १८० दिन उपवास के आते हैं । अर्थात् ४×५ x ३ x ३ = १८० दिन उपवास और १८० दिन पारणा की जाती हैं । अतः वर्ष भर एकान्तर रूप से उपवास और एकाशन करने चाहिए । इस व्रत में ॐ ह्रीं समस्तशीलव्रतमण्डिताय श्री जिनाय नमः मन्त्र का जाप करना चाहिए । इस व्रत में मास पक्ष तिथि का नियम नहीं है । मन, वचन, काय की दृष्टि से ८८ उपवास होते हैं यह व्रत पूर्ण होने तक शीलव्रत पालना चाहिए । व्रत पूर्ण होने पर जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक पूजा करनी चाहिए । - गोविन्दकृत व्रत निर्णय - इसका एक प्रकार लघुशील कल्यारण नामक है इसमें एकान्तर १८ उपवास करने होते हैं । पारणा के दिन एक भुक्ती प्रहार करना चाहिये । यह व्रत क्रम से ३६ दिन में पूर्ण होता है । इसकी शुरूआत मार्गशीर्ष महिने में करे, व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिए । - गोविन्दकृत व्रत निर्णय इसकी एक और विधि :- यह व्रत ३६० दिन का है, इसमें १८० उपवास
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy