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________________ ५७४ ] व्रत कथा कोष कार्मण शरीर निवारण व्रत कथा इस विधि को भी पूर्ववत् समझना, फरक मात्र जेष्ठ ४ को एकाशन करे, पंचमी को उपवास करे, चौबीस तीर्थंकर की पूजा करे, मन्त्र जाप भी वही करे, १० पूजा व्रत समाप्त होने पर कार्तिक अष्टान्हिका में उद्यापन करे, शिखरजी विधान करे, कथा पूर्ववत् समझना । वेदनीय कर्मनिवारण व्रत कथा आषाढ़ शुक्ला एकादशी को शुद्ध होकर मन्दिरजी में जावे, प्रदक्षिणा लगाकर भगवान को नमस्कार करे संभवनाथ भगवान का पंचामृताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, गुरु व श्रुत, यक्षयक्षिरिण क्षेत्रपाल की पूजा करे, अखण्ड दीपक भी लावे | स्वाहा । ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं श्रीं संभवनाथ त्रिमुख यक्षे प्रज्ञप्ति यक्षयक्षिसहिते नमः इस मन्त्र का १०८ पुष्प से जाप्य करे, १०८ बार णमोकार मन्त्र का जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ्य चढावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, दान देवे, दूसरे दिन दानादिक करके स्वयं पारणा करे । इस प्रकार प्रत्येक शुक्ल व कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को व्रत पूजा करके अन्त में अष्टान्हिका को उद्यापन करे, उस समय संभवनाथ तीर्थंकर विधान करके, महाभिषेक करे, चतुर्विध संघ को दान देवे, तीन सौभाग्यवती स्त्रियों को वस्त्रालंकार देकर सम्मान करे | कथा राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े । अथ विपरीतनय व्रत कथा व्रत विधि :- पहले के समान सब विधि करे अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ. ५ के दिन एकाशन करे, ६ के दिन उपवास करें, पूजा वगैरह पहले के समान करे, णमोकार मन्त्र का जाप ७ बार करें, सात दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र आदि दान करे ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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