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ब्रत कथा कोष
पंच ज्ञान प्रकाशाय, पंचेन्द्रियनिवारिणे ।
पंच मंगल नाशाय, पंच कल्याण कारिणे ।।१॥
इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाते हुए एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, मंगल प्रारती उतारे, एकासन करे, इसी क्रम से प्रत्येक महिने की शुक्ल पंचमी को पूजा कर, व्रत करे, कार्तिक शुक्ला पंचमी के दिन व्रत का उद्यापन करे, उस समय पंचपरमेष्ठी विधान करके महाभिषेक करे, अथवा एक नवीन प्रतिमा लाकर पञ्चकल्याण करावे, चतुर्विध संघ को दान देवे, मुनियों को पांच शास्त्र भेट करे ।
कथा प्रभामण्डल कामदेव ने अपने पूर्व भव में इस व्रत को पालन किया था, उसी के प्रभाव से इस भव में १४ विद्या चौसठ कला में अत्यंत प्रवीण होकर अनेक सुख का भोग करने लगा, अंत में मोक्ष को प्राप्त किया ।
___ वैक्रियिक शरीरनिवारण व्रत कथा
औदारिक व्रत कथा के समान इस व्रत की सब विधि है, मात्र फाल्गुन शुक्ला चतुर्थी को एकाशन, पंचमो को उपवास, नव पूजा पूरी होने पर प्राषाढ़ अष्टान्हिका में व्रत का उद्यापन करे, कथा पूर्वोक्त पढ़े ।
पाहारक शरीर निवारण व्रत कथा इसकी कथा भी उपरोक्त प्रमाण ही है, फरक आषाढ़ शुक्ल ४ को एकाशन पंचमी को उपवास, नव पूजा पूर्ण होने पर कार्तिक अष्टान्हिका में उद्यापन करे, कथा भी उसी प्रकार करे।
तेजस शरीर निवारण व्रत कथा उपरोक्त प्रमाण यहां भी सब विधि समझे, मात्र फरक इतना है कि, वैशाख शुक्ला चतुर्थी को एकाशन और पंचमी को उपवास । १३ व्रत पूजा पूर्ण होने पर कार्तिक अष्टान्हिका में उद्यापन करे, बाकी सब पूर्ववत् समझना, कथा भी पूर्व की ही पढ़े।