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व्रत कथा कोष
___ इस प्रकार यह व्रत नव रविवार करके अन्त में उद्यापन करावे । श्री पद्मप्रभ तीर्थंकर विधान करके महाभिषेक करे। चतुःविधि संघ को दान दे । दीन अनाथ आदि को अभयदान दे।
कथा श्रेणिक महाराज ने व चेलना ने यह व्रत किया था, अतः इन्हीं की कथा पढ़े ।
वसंततपव्रत किंवा रुद्रतर वसंतव्रत इसके दो भेद हैं (१) रुद्रतर वसंत तप त (२) भद्रतर वसंत तप व्रत ।
रुद्रतर वसंत तप व्रत-प्रथम पाँच उपवास करके छठे दिन एकाशन करे, फिर क्रम से ६ उपवास एक एकाशन, सात उपवास एक एकाशन (पारणा) पाठ उपवास एक एकाशन, नव उपवास एक एकाशन ऐसे ३५ उपवास ५ एकाशन, ४० दिन में यह व्रत पूरा होता है । व्रत पूरा होने पर मन्दिर में मण्डल निकालकर जिनेश्वर की पूजा करनी चाहिये । उद्यापन करना चाहिये, यथाशक्ति दान देना चाहिये । इसमें महीना, पक्षतिथि का नियम नहीं है पर व्रत पूर्ण होने तक अखण्ड करना चाहिये ।
(२) भद्रतर वसंत तप व्रत-भद्रतर वसंत व्रत में प्रथम पाँच उपवास करके एक पारणा करना, फिर दो उपवास एक पारणा, सात उपवास एक पारणा, फिर दो उपवास एक पारणा, पांच उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, अाठ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ६ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ६ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ७ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ८ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ६ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, पाँच उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ६ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, आठ उपवास एक पारणा, सात उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, पाठ उपवास एक पारणा, सात उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ८ उपवास एक पारणा, ६ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, ६ उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, इस प्रकार यह व्रत करना चाहिये ।
इस व्रत के कुल १७५ उपवास और ३८ पारणे होते हैं कुल २०४ दिन का यह व्रत है। व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिये नहीं तो व्रत दूना करना चाहिये ।