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________________ व्रत कथा काष [ ५६६ उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पारणा इस प्रकार व्रत एक वर्ष करना चाहिये । पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिये । यदि उद्यापन की शक्ति न हो तो व्रत दूना करना चाहिए। इसकी दसरो विधि-प्रथम पांच उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा और एक उपवास एक पारणा करके पुनः दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, पांच उपवास एक पारणा इस प्रकार २६ उपवास : पारणे ऐसे ३८ दिन में यह व्रत करना चाहिये। -हस्तलिखित गुटका अथ वारिषेण कथा सकल श्रेयोनिधि व्रत कथा व्रत विधि-१२ महीने में कोई भी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को एकाशन करे और रविवार को प्रातःकाल शुद्ध कपड़े पहन कर अष्टद्रव्य लेकर मन्दिर में जाये । दर्शन वगैरह करने के बाद वेदि पर श्री पद्मप्रभ तीर्थंकर की प्रतिमा कुसुमवर मनोवेगा यक्षयक्षी सहित स्थापित करे। पंचामृत अभिषेक करे। भगवान के सामने एक पाटे पर छः स्वस्तिक निकालकर उसके ऊपर ६ पान व अष्टद्रव्य रखे । वृषभनाथ से पद्मप्रभु तक अष्ट स्तोत्र पूजा अर्चना जयमाला पढ़े। श्रुत, गुरु यक्षयक्षी व ब्रह्मदेव की अर्चना करे। जाप--ॐ ह्रीं अहं श्री पद्मप्रभ जिनेंद्राय कुसुमवर मनोवेगा यक्षयक्षी सहिताय नमः स्वाहा। इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे, णमोकार मन्त्र का भी जाप करे । यह कथा भी पढ़े। आरती करे। उस दिन उपवास करे । सत्पात्र को दान दे। दूसरे दिन पूजा व दान करके पारणा करे ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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