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व्रत कथा कोष
कथा
इस व्रत को राजा श्रेयांस ने पालन किया था, कथा में रानी चेलना की कथा पढ़े।
अथ मनपर्याप्तिनिवारण व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि वैशाख कृ. ६ के दिन एकाशन करे । १० के दिन उपवास पूजा आराधना व मन्त्र जाप प्रादि करे। पत्त मांडे ।
मनोगप्ति व्रत कथा इस व्रत में भी सब विधि पूर्ववत् करके सिद्धपरमेष्ठि की आराधना करे । ॐ ह्रीं णमोसिद्धाणं सर्वसिद्ध परमेष्ठिभ्यो नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, बाकी सब विधि पूर्ववत् करे, अंत में उद्यापन करे, उद्यापन के समय सिद्धचक्र आराधना करे।
कथा
पहले इस व्रत को कलिंग देश के राजा धर्मपाल ने किया था, अंत में मोक्ष सुख को प्राप्त किया। राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े।
मंगलसार व्रत कथा आश्विन महिने के पहले सोमवार को शद्ध होकर मन्दिर में जावे, भगवान को प्रदक्षिणापूर्वक नमस्कार करे, चौबीस तीर्थंकर की प्रतिमा का पंचामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, पंच पकवान से चौबीस बार पूजा करै, जिनवाणी और गणधर की पूजा करे, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करें।
___ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं प्रहं चतुर्विशति तीर्थकरेभ्यो यक्षयति सहितेभ्यो नमः स्वाहा।