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________________ व्रत कथा कोष - - -[४३ उसको अपूर्व पुण्य का लाभ मिलता है। इस कारण से उसके आगे के भव में भी सद्गति की प्राप्ति होती है, पंचकल्याणक का भागी होता है, स्त्रीलिंग छेद होकर पुरुष पर्याय की उसको प्राप्ति होती है, और नियम से मोक्ष सुख की प्राप्ति होती है। कथा राजगह नगर में रानी चेलना ने मुनिराज को नमस्कार करके गृहस्थारम्भ में होने वाले पापों की निवृत्ति केसे हो यह उपाय पूछा, तब मुनिराज ने कहा हे बेटी तुम मुष्टितंदुल व्रत का पालन करो, ऐसा कहकर रानी को सब व्रत विधि कह सुनाई चेलना ने व्रत विधि को सुनकर मन में आनन्द मनाया और भक्तिपूर्वक नमस्कार करके व्रत को स्वीकार किया, मुनिराज यथास्थान चले गये। कालानुसार चेलना रानी ने व्रत को अच्छी तरह से पाला, अन्त में उत्साहपूर्वक उद्यापन किया, व्रत के फल से सद्गति को प्राप्त हुई, और क्रम से मोक्ष को जायेगी। महोदय व्रत कथा प्राषाढ़ शुक्ला एकादशी के दिन स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर जिनमन्दिर जी में जावे, प्रदक्षिणा पूर्वक ईर्यापथ शुद्धि करके भगवान को नमस्कार करे, श्रेयांसनाथ भगवान का पंचामृताभिषेक करे, प्रष्ट द्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षी व क्षेत्रपाल की पूजा करे। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं श्रेयांसनाथ तीर्थंकराय कुमारयक्ष गौरीयक्षी सहिताय नमः स्वाहा। इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करे, उस दिन उपवास करे, दूसरे दिन दान देकर पारणा करे । इस प्रकार ग्यारह एकादशी इस व्रत को करके अंत में उद्यापन करे, उस समय श्रेयांसनाथ विधान करके महाभिषेक करे, चतुर्विध संघ को चारों प्रकार का दान देवे।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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