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व्रत कथा कोष
सुगुणी पूरा परिवार सुख से रहता था । एक बार उन्होंने सुगुप्ताचार्य मुनि से व्रत लिया, उसका व्रत विधि से पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गये । मंगलागौरी व्रत कथा
भाद्र महिने के प्रथम सोमवार को स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहन कर पंचामृताभिषेक का और पूजा का सामान लेकर जिनमन्दिर जी में जावे, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करे, भगवान को साष्टांग नमस्कार करे, अभिषेक पीठ पर भगवान श्रेयांस तीर्थंकर व कुमारयक्ष गौरीयक्षी सहित प्रतिमा स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गणधर की पूजा करे, यक्षयक्षि, क्षेत्रपाल की पूजा करे, पंच पकवानों को चढ़ावे ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं श्रहं श्र ेयोजिनेन्द्रा कुमारयक्ष गौरीयक्षी सहिताय नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, १०८ णमोकार मन्त्र का जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, सहस्र नाम पढ़े, एक थाली में अर्घ्य रखकर नारियल रखे, उस थाली को हाथ में लेकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन ब्रह्मचर्य पूर्वक उपवास करे, धर्मध्यान से काल बितावे, सत्पात्रों को श्राहारदान देवे, अपने पारणा करे ।
इस प्रकार 8 मंगलवार पूजा विधि करके अन्त में उद्यापन करे, उस समय श्रेयांसनाथ तीर्थंकर विधान करके महाभिषेक करे, पंच पकवान चढ़ावे, ११ मुनिश्वरों व आयिकाओं को, श्रावक, श्राविकानों को प्राहारादि देकर उपकरण देवे ।
कथा
इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में प्रार्य खण्ड है, उस खण्ड में सूरसेन नाम का देश है, उसमें मथुरापुर नाम का नगर है, उस नगर में जयवर्मा नाम का राजा अपनी जयावती नाम की रानी के साथ में सुख से राज्य करता था नहीं होने के कारण राजा बहुत चिंता करता था ।
राजा को कोई संतान