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व्रत कथा कोष
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करना। रात में जागरण करना तथा भजन आदि करना चाहिए । हिंसादि पांच पापों को छोड़कर ब्रह्मचर्य व्रत से व्रत पूर्ण हो तब तक रहना चाहिए। एकाशन के दिन एक एक रस छोड़कर खाना चाहिए। ५ वर्ष तक यह व्रत करना चाहिए। व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिए, शक्ति न होने पर व्रत फिर से करना चाहिए।
इस व्रत की और एक विधि---
(१) तीन प्रतिपदा के तोन, दो अष्टमी के दो और चतुर्दशी के दो ऐसे सात उपवास करके बाकी के २४ दिन एकाशन करना, यह व्रत ५ वर्ष तक करना चाहिए । पूर्ण होने पर उद्यापन करना । राजा वत्स व पद्मश्री ने यह व्रत किया था।
-गोविद कवि कृत व्रत निर्णय (२) प्रथम उपवास, बाद में एकाशन इस प्रकार १६ उपवास व १५ एकाशन करना चाहिए ।
---गोविंद कवि कृत व्रत निर्णय इस व्रत की सफलता संयम से होती है । मेघपंक्ति से आकाश आच्छादित हुआ हो तो उस समय पंचस्त्रोत बोलना चाहिए और जिस दिन जिस तिथि का उपवास करना कहा है उस दिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्रत विधि प्रारम्भ होती है, इसलिये इस व्रत को मेघमाला यह नाम दिया है।
पूजा के बाद ॐ ह्रीं पंचपरमेष्ठी नमः इस व्रत का १०८ बार जाप करना चाहिए। यह इच्छा व्रत है, किसी भी इच्छा से किया गया व्रत इच्छा व्रत होता है ।
इसको कथा-वत्स देश में कौसांबी नगर में राजा भूपाल राज्य करता था । उसी नगरी में वत्स नामक सेठ अपनी पत्नी पद्मश्री के साथ रहता था । पूर्वकृत अशुभ कर्म के उदय से उसके घर में अठारह विश्व दरिद्रता से नाचते थे । ऐसी मरीबी अवस्था में भी उसके पेट से १६ लड़के और १२ कन्या का जन्म हुआ । गरीब स्थिति में बच्चों का पालन करना और घर का खर्चा चलना अत्यन्त कठिन था । उनका रोज पेट भरना भी बहुत कठिन था ।