SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 513
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५४ ] व्रत कथा कोष उसी नगर में विष्णुदत्त नामक एक ब्राह्मण रहता था, ब्राह्मण की मदनमुखी नाम की रूपवान स्त्री थी, उसके पेट से कामसेना नाम की एक गुणवान कन्या उत्पन्न हुई । कन्या को विवाह के योग्य समझकर विवाह कर दिया । एक दिन कामसेना अपनी सखी के साथ में बसंत ऋतु की क्रीड़ा करने को निकली। रास्ते में यशोभद्र नाम के दिगम्बर मुनि को देखकर मिथ्यात्व कर्म के उदय से ग्लानिपूर्वक निन्दा किया, मुनिनिन्दा के प्रभाव से अन्त में मरण कर छठे नरक में उत्पन्न हुई। बाईस सागर पर्यन्त दुःख भोगने लगो। प्रायु के समाप्त होने के बाद वहां से निकलकर, पुष्कराद्ध द्वीप के अन्तर पूर्वमेरु पर्वत के दक्षिण भाग में भरत क्षेत्र है, भरत क्षेत्र के अन्तर्गत अयोध्या नगरी है, वहां श्रीवर्मा नाम का राजा राज्य करता था। उस राजा की रानी का नाम लक्ष्मीमती था, राजा का कपिल पुरोहित था, पुरोहित की स्त्री का नाम सुप्रभा था, वह मुनि निन्दक पापिनी छठे नरक से निकल कर, पुरोहित को कन्या होकर उत्पन्न हुई, पैदा होते ही उसके माता पिता मर गये, फिर वह घर घर भिक्षा माँगकर भोजन करने लगी, उसका शरीर दुर्गन्ध से युक्त था, इसलिए लोग उसको दुर्गन्धा के नाम से पुकारते थे, यौवनवती होने के बाद एक दिन वन में लकड़ी लेने गई, वहां नाभिगिरिपर्वत के ऊपर गुहा में रहने वाले मनोगुप्ति नाम के महामुनिश्वर दृष्टिगत हुये। तब दुर्गन्धा का मिथ्यात्व कर्म के उपशम होने से मुनिराज को नमस्कार करूं ऐसा भाव जाग्रत हमा, जाकर नमस्कार किया और कहने लगी कि स्वामिन मैंने कौनसे पाप किये जिससे मेरा शरीर दुर्गन्धमय है आप कृपा करके मुझे बताइये, तब मुनिराज कहने लगे कि हे कन्ये तुमने पूर्व जन्म में मुनिनिंदा की है, इस कारण मरकर नरक में गई, वहां का दुःख भोगकर अवशेष पुण्य के कारण ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुई और दरिद्री होकर दुःख भोग रही हो। ____ यह पूर्व भव वार्ता सुनकर दुर्गन्धा बहुत ही पश्चाताप करने लगी, मुनिराज को कहने लगी, हे भवोदधितारक अब मुझे मेरे पाप कर्म दूर हो ऐसा कोई उपाय बतामो, उस दुःखी दुर्गन्धा के वचन सुनकर मुनिराज कहने लगे कि हे बेटी तुम अपने
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy