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________________ व्रत कथा कोष [ ४५५ किये हुए पापों को दूर करना चाहती हो तो मुक्तावली व्रत को विधिपूर्वक करो जिससे तुम्हरा सर्व रोग नष्ट होकर सुख सम्पत्ति प्राप्त होगी, ऐसा कहकर उसको व्रत का स्वरूप बताया, व्रत का स्वरूप बताने पर दुर्गन्धा को बहुत ही आनन्द पाया, उसने खुशीपूर्वक व्रत को स्वीकार किया, और अपने गांव में वापस आ गई, आगे उसने यथाशवित व्रत को विधिपूर्वक पालन किया, उद्यापन किया । अन्त में समाधिपूर्वक मरण कर स्त्रीलिंग का छेद करती हुई सौधर्म स्वर्ग में विभूतिशाली देव हुई, वहां दो सागर के सुख का अनुभव कर इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में मिथिलापुर नाम के एक रम्य नगर में पहले पृथ्वीपाल नाम का एक भद्र परिणामी राजा राज्य करता था। उसकी पृथ्वीदेवी नाम की रानी थी, उस रानी के गर्भ से पद्मरथ नामक बलिष्ठ पुत्र होकर जन्म लिया, थोड़े ही दिन में वह कुमार तारुण्य अवस्था को प्राप्त हुआ। एक दिन चतुरंग सेना के साथ हाथी पकड़ने के लिए वन में गया था, तब वहां, हाथी, सिंह, गाय, बाघ, हरिण, लोमड़ी, कुत्ता प्रादि पशु अपना स्वाभाविक वैर छोडकर शांतता से परस्पर क्रीड़ा करते हुये बैठे थे, यह देखकर कुमार को बहुत ही आश्चर्य हुआ, उस समय उसने हाथी को पकड़कर एक पेड़ से बांध दिया, वह भी वहां शांति से बैठ गया, उस वक्त उस पर्वत की गुफा में बैठे एक निर्ग्रन्थ मुनि उसकी दृष्टि में आये तब उसने सब के साथ वहां जाकर तीन प्रदक्षिणा लगाकर नमस्कार किया, वहां सर्व पशु-पक्षि अपना अपना वैरभाव छोड़कर बैठे थे, यह सब देखकर राजकुमार को बहुत आश्चर्य हुआ। तब कुमार मुनिराज को कहने लगा कि हे स्वामिन आपके तपोबल का महात्म्य जैसा है वैसा मैंने कहीं पर भी नहीं देखा, ऐसा मुनिश्वर ने सुना तब उन्होंने कहा कि हे युवराज हमारे तपोबल का ही ऐसा आश्चर्य है इस प्रकार तुम मत समझो, अंगदेश के चंपापुर नगर में मेरुपर्वत के समान आत्मध्यान में निश्चल रहने वाले और जिनके सर्वाङ्ग से मेघगर्जना के समान दिव्यवाणी प्रकट होती है, और प्रातः काल के सूर्य की जैसे कांति होती है वैसी उनकी कांति है, ऐसे भगवान श्री वासुपूज्य तीर्थंकर का समवशरण आकर ठहरा हुआ है, उन्हीं का यह प्रभाव है, कारण जहां
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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