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________________ ४४२ ] व्रत कथा कोष देश में एक के शवांक नाम का राजा अपनी कौशिक पट्टरानी के साथ राज्य करता था, उसी नगरी में एक कुसुमदत्त नाम का राज्य श्रेष्ठि अपनी भार्या कुसुमदत्ता नाम की सेठानी के साथ रहता था, उस सेठ को ३२ पुत्र थे, महान संपत्तिशाली था, इसलिये सुख से रहता था । एक दिन भुवनभूषण नाम के दिव्यज्ञानी महामुनि अपने संघ सहित नगरी में पधारे, राजा को समाचार प्राप्त होते हो पुरजन-परिजन सहित मुनिराज के दर्शन करने को गया, कुछ समय धर्मोपदेश सुनने के बाद, कुसुमदत्ता सेठानी हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी कि हे देव, हमने पूर्व भव में कौन सा ऐसा पुण्य किया, जिससे हमारे घर में अक्षय संपत्ति बनी हुई है ? ऐसा प्रश्न सुनकर मुनिराज कहने लगे कि हे देवी, सुनो ! इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में कलिंग नाम का देश है, उस देश में कनकपुर नाम का मनोहर नगर है, उस नगर में एक बहुत गरीब कमल मुख नाम का सेठ अपनी कमलमुखी सेठानी के साथ रहता था, उस सेठ को बहुत सन्तान होने से कभी पेट भरकर भोजन नहीं मिलता था, बहुत कष्ट से दुःखपूर्वक जीवन व्यतीत करता था। एक बार देवपाल व यशोभद्र नाम के दो मुनिश्वर मासोपवास करके पारणा के लिये नगर में आये, शुभ योग से कमलमुख सेठ के घर में निरन्तराय आहार हुया, आहार होने के बाद सेठ मुनिराज को कहने लगा कि हे देव, मेरा नर जन्म पाना व्यर्थ हो रहा है, मेरे घर में दरिद्रता का वास हो गया है, मैं महादुःखी हूं, मेरा कष्ट दूर करो। ऐसे वचन सेठ के सुनकर मुनिराज ने दयाबुद्धि से कहा कि हे सेठ तुम भवरोगहराष्टमी व्रत का पालन करो, इस व्रत के प्रभाव से सर्व दुःखों का निवारण होता है, ऐसा कहकर उस व्रत की विधि कह सुनायी । ऐसा व्रत का विधान सनकर उन दोनों ने इस व्रत को ग्रहण किया, मुनि. राज व्रत की विधि बताकर नगर से वापस लौट गये, सेठानी ने विधिपूर्वक व्रत का पालन किया, उद्यापन करके अन्त में समाधिपूर्वक मरकर व्रत के फल से, तुम इस कुसुमदत्त सेठ को पत्नी हुई हो, वहां से ही ये सब तुम्हारे पुत्र हुये हैं, यह सब सुनकर सबको बहुत प्रानन्द हुमा, सब लोगों ने भक्तिपूर्वक मुनिराज को नमस्कार करके व्रत को ग्रहण किया, और वापस नगर में लौट आये, और सबने व्रत को विधिपूर्वक पालन किया ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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