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________________ व्रत कथा कोष [ ४४१ अथ भोगांतराय निवारण व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ शुक्ला १० के दिन एकाशन करे ११ के दिन उपवास करे पूजा वगैरह पहले के समान करे, णमोकार मन्त्र का जाप १०८ बार करे ३ दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र प्रादि दान करे। कथा पहले शांतभद्रपुर नगरी में भद्रसेन राजा भद्रादेवी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र सुभुद्र और उसकी स्त्री वसुभद्रा, वसुमती मन्त्री उसकी स्त्री, वसुधाचार्य पुरोहित उसकी स्त्री वसुमती, सुकांत श्रेष्ठी पूरा परिवार सुख से रहता था। एक दिन उन्होंने वसुन्धराचार्य मुनि के पास जाकर यह व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए। अथ भवरोगहराष्टमी व्रत कथा आषाढ़ शुक्ला अष्टमी के दिन प्रातःकाल में स्नान कर के व्रतीक को शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिये, सब प्रकार का अभिषेक पूजा सामग्री लेकर जिनेन्द्र भगवान के मन्दिर में जावे, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि पूर्वक भगवान को नमस्कार करे, अभिषेक पीठ पर भगवान की मूर्ति यक्षयक्षि सहित स्थापन कर भगवान का अभिषेक करे, फिर पूजा करे, खीर बनाकर चढ़ावे, नाना प्रकार के फलों से पूजा करे । ॐ ह्रीं अर्हद्भ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से पुष्प लेकर १०८ बार जाप्य करे, जिन सहस्र नाम पड़े, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक महाअर्घ्य हाथ में लेकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, इसी क्रम से कार्तिक पूर्णिमा तक प्रतिदिन पूजा करना, अंत में उद्यापन करे, उस समय एक नवीन चौबीस तीर्थंकर प्रतिमा यक्षयक्षि सहित बनवाकर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करे, पंच प्रकार का पकवान बनवाकर मुनिश्वरों को आहारदान देवे, योग्य उपकरण दान करे, पारणा करे, मध्य में अष्टमी चतुर्दशी को उपवास करे, बाकी के दिन भोजन करना चाहिये । कथा इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में काश्मीर नाम का एक विशाल देश है, उस
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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