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________________ करना । व्रत कथा कोष [ ४३३ बेला व्रत श्रादि अन्त एकाशन करे, बीच दोय उपवास जु धरे । (हरिवंशपुराण) भावार्थ :- प्रथम एक एकाशन, फिर दो उपवास, पीछे एक एकाशन अथ भाषापर्याप्ति निवारण व्रत कथा व्रत विधिः- पहले के समान करे, अन्तर सिर्फ इतना है कि वैशाख कृ. ७ के दिन एकाशन करे, ८ के दिन उपवास पूजा अराधना व मन्त्र जाप आदि करे । पत्त े मांडे । स्वाहा ।" अथ भयकर्म निवारण व्रत कथा विधि :- - पहले के समान सब विधि करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि चैत्र कृष्णा के दिन एकाशन करे । ६ के दिन उपवास करे । मल्लिनाथ भगवान की पूजा जाप, मन्त्र, मांडला आदि करे । अथ भगीरथ व्रत कथा व्रत विधि :- १२ महीने में कोई भी महीने के शुक्ल पक्ष में शुभ दिन एकाशन करे । दूसरे दिन शुद्ध कपड़े पहन कर मन्दिर जावे, वहां पीठ पर श्री सुमतिनाथ तीर्थंकर की प्रतिमा का व पुरुषदत्ता यक्षयक्षी सहित स्थापन करे | पंचामृत अभिषेक करे । वृषभनाथ से सुमतिनाथ तीर्थंकर तक उनकी पूजा, अष्टक, स्तोत्र, जयमाला आदि करे । जाप - - ॐ ह्रीं श्रीं श्री सुमतिनाथ तु बरुपुरुषदत्ता यक्षयक्षी सहिताय नमः इस मन्त्र का १०८ बार पुष्पों से जाप करे । णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप करे । यह कथा पढ़े। आरती करे । उस दिन उपवास करके धर्मध्यान पूर्वक समय बितावे । सत्पात्र को दान देवे । दूसरे दिन पूजा दान आदि करके पारणा करे ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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