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व्रत कथा कोष
इसलिये पुनः इस व्रत को पूर्णरूप से पालन करो तब तुम्हारा दुःख-दारिद्र सब नष्ट हो जायेगा । ऐसा सुनते ही वो अपने पाप से डरी और पुनः व्रत को पालन करने लगी, व्रत पूर्ण होने के बाद व्रत का उद्यापन किया, व्रत के पुण्य से पुनः धन सम्पत्ति प्राप्त होकर सर्व सुखी हो गई, इतना होने पर अब वो अच्छी तरह से धर्म का पालन करने लगी, समाधिमरण से मरकर स्वर्ग में गई और क्रमशः मोक्ष सुख को प्राप्त किया, व्रत का अचिन्त्य प्रभाव है ।
अथ बुधाष्टमी व्रत कथा--- बारह महिने की किसी भी अष्टमी को जिस दिन बुधवार हो (बुधाष्टमी हो) उस दिन व्रत को धारण करने वाला प्रात:काल स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहन कर, पूजा का सामान साथ में लेकर जिनमन्दिर को जावे, मंदिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करे, जिनेन्द्र भगवान को साष्टांग नमस्कार करे, नंदादीप जलावे, याने मन्दिर में दीपक जलावे, अभिषेक पीठ पर पंचपरमेष्ठि की और महावीर स्वामी की प्रतिमा यक्षयक्षि सहित स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, भगवान के सामने एक पाटे पर चावल से साथिया निकालकर, पांच पान रखे, उन पानों पर प्रत्येक पर अष्ट द्रव्य रखे, उसके प्रागे चांवल का एक ढेर बनाकर उस ढेर पर सजा हमा मंगल कलश रखे, फिर अष्ट द्रव्य से पूजा करे, गुरु व शास्त्र की पूजा करे, यक्षयक्षि क्षेत्रपाल (ब्रह्मदेव) को अर्घ चढ़ावे ।
___ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं वर्धमानजिनेन्द्राय मातंगसिद्धायिनी यक्षयक्षि सहिताय नमः स्वाहा।
___ इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, सहस्रनाम स्तोत्र पढ़े, महावीर चरित्र पढ़े, व्रत कथा पढ़े ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं ह्रः असि आ उ सा स्वाहा । १०८ पुष्प से जाप्य करे।
___ एक पात्र में नारियल सहित अर्घ्य रखकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर मंगलारती उतार कर अर्घ्य को चढ़ा देवे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य पाले, सत्पात्रों को दान देवे, दूसरे दिन पारणा करे, इस प्रकार पाठ बुधवार अष्टमी व्रत करे, नवमी बुधवार अष्टमी को इस व्रत का उद्यापन करे, उस समय वर्द्धमान