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________________ व्रत कथा कोष व कनककांता प्रायिका ५०० आयिकानों के साथ में दर्शन करने को आई, उस दिन पद्मावती रानी भी जिनचैत्यालय के दर्शन के लिये गई थी, पायिका माताजी को देखकर भक्तिपूर्वक रानी ने नमस्कार किया, विनय से कहने लगी कि हे माताजी ! अब आप इस वर्ष का चातुर्मास इसी नगरी में करिये, जिससे कि हमारी पूण्य वृद्धि हो, वर्षा योग निकट आ गया है, हमारी ऐसी इच्छा है कि आपके श्रीमुख से कोई ऐसा प्रत विधान कहो । रानी के विनयपूर्वक वचन सुनकर मुख्य प्रायिका कनक श्री कहने लगी कि हे रानी तुम पुराना अन्नत्याग व्रत करो, इस व्रत के प्रभाव से जीब को इहलोकसुख और परलोकसुख की प्राप्ति होती है, ऐसा कहकर व्रत की सम्पूर्ण विधि को कहा । रानी व्रत की विधि को सुन कर बहुत ही आनंदित हुई और विनयपूर्वक व्रत को स्वीकार किया, और घर वापस आ गई, अपनी दासी के साथ व्रत को अच्छी तरह से पालन करने लगी। उद्यापन के दिन वसंतमाला दासी को सब द्रव्य तो प्राप्त हो गया, लेकिन एक नवीन कपड़ा न प्राप्त होने के कारण वह अत्यन्त चिंतातुर होने लगी, और जिनमन्दिर की तरफ जाने लगो, इतने में मार्ग में एक व्यक्ति मिला, वसंतमाला को चिंतातुर देखकर कहने लगा कि हे मां, आज प्राप चिंतावान क्यों दीख रही हो क्या कारण है । तब वह कहने लगी कि हे पिताजी आज मेरे को एक व्रत का उद्यापन करना था, लेकिन उद्यापन के लिये एक नवीन वस्त्र चाहिये सो वस्त्र न मिलने के कारण आज मैं उदासीन हूं । उसका दोन वचन सुनकर वह व्यक्ति कहने लगा कि हे मां आज आप जो ब्रत कर रही हैं, उसमें से मुझे भी कुछ भाग अगर देती हो तो मैं तुमको एक नवोन बस्त्र लाकर शीघ्र देता है ऐसा सुनते ही वह दासी बहुत प्रसन्न हुई और वसंतमाला कहने लगी कि हे पिताजी जो मैं व्रत कर रही हूँ उस पुण्य का आठवां भाग मैं आपको देती हूं। तब उसने एक नवीन कपड़ा लाकर शीघ्र दे दिया, तब वसंतमाला दासी ने बहुत बड़े उत्सव से व्रत का उद्यापन किया, चतुर्विध संघ को दान वगैरह देकर पारणा किया, उस व्यक्ति को भी अष्टमांश पुण्य लगा क्योंकि उद्यापन के लिये उसने नवीन कपड़ा दान किया था। इधर पद्मावती रानी को सर्व पूजासाहित्य टाइम पर न मिलने के कारण कालातिक्रम हो गया, और रात्रि हो जाने के कारण खाने पीने के पदार्थों में
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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