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________________ "श्री गोम्मट प्रश्नोत्तर चितामणि" ग्रन्थमाला समिति ने तेरहवें पुष्प के रूप में श्री गोम्मट प्रश्नोत्तर चिंतामरिण ग्रन्थ का प्रकाशन करवाकर प्रारा (बिहार) में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में जन्म कल्याणक के शुभावसर पर दिनांक ११-१२-८८ को परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज के कर कमलों द्वारा हजारों की संख्या में उपस्थित जन समुदाय के बीच करवाया । - श्री गोम्मट प्रश्नोत्तर चिंतामरिण ग्रन्थ जैन रामायण सरिका (गागर में सागर ) के समान ११०० पृष्ठों का वृहद ग्रन्थ है । ३८ ध्यान के रंगीन चित्र इसमें प्रकाशित किये गये है | इस ग्रन्थ के संकलनकर्ता परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज ही है । ग्रन्थ के सम्बन्ध में गणधराचार्य महाराज के विचार निम्न प्रकार है ग्रन्थ में करूणानुयोग, द्रव्यानुयोग आदि सभी प्रकार की चर्चायें संग्रहित की गई है और आधार लिया गया है जिनागम का मैं समझता हूं कि स्वाध्याय प्रेमियों को इस एक ही ग्रन्थ के स्वाध्याय करने से जिनागम का बहुत कुछ ज्ञान हो सकता है, इस ग्रन्थ में गुण स्थानानुसार श्रावक धर्म, मुनि धर्म, श्रात्म ध्यान पींडस्थ रूपातीत प्रादि ध्यान और उनके चित्रों सहित वर्णन किया गया है, और अनेक सामग्री संकलित की गई है । यह ग्रन्थ अपने आप में एक नया ही संग्रहित हुआ है, इस ग्रन्थ में सभी ग्रन्थों से लेकर २,१७८ श्लोकों का संग्रह है । इस ग्रन्थ में पूर्वाचार्यकृत गोम्मटसार, जीवकाँड, त्रिलोकसार, मूलाचार, ज्ञानार्णव, समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, रत्नकंरड श्रावकाचार तत्वार्थ सूत्र, राजवार्तिक आचारसार, अष्टपाहुड, हरिवंश पुराण, आदि पुराण, वसु नन्दी श्रावकाचार, परमात्म प्रकाश, पुरुषार्थ सिद्धायुपाय, समयसार कलश, धवलादि, उमा स्वामी का श्रावकाचार, जैन सिद्धान्त प्र. दशभक्त्यादि संग्रह, चर्चाशतक चर्चासमाधान, स्याद्वाद चक्र, चर्चासागर सिद्धान्तसार प्रदीप, मोक्ष मार्ग प्रकाशक, त्रिकालवर्ती महापुरुष श्रादि बड़े -२ ग्रन्थों, का आधार लेकर संग्रह किया गया है। धर्म ज्ञान एवं विज्ञान - ग्रन्थमाला समिति ने चौदहवें पुष्प के रूप में "धर्म ज्ञान एवं विज्ञान" पुस्तक का भी प्रकाशन करवाकर आरा (बिहार) में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में जन्म कल्याणक के शुभावसर पर परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज के करकमलों द्वारा दिनांक ११-१२-८८ को करवाया है। इस पुस्तक में जैन धर्म के तत्वों का सरल भाषा में उल्लेख किया गया है। पुस्तक के लेखक गणधराचार्य महाराज के परम शिष्य एलाचार्य उपाध्याय सिद्धान्त चक्रवति परमपूज्य श्री १०८ कनकनन्दिजी महाराज है । पुस्तक सभी के लिए पठनीय है।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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