SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मनाथ भगवान की मूर्ति विराजमान की गई । ग्रन्थमाला का कार्यालय हमारे निवास स्थान पर है और हमारे निजी खर्च से यह कार्यक्रम सम्पन्न करवाया। तत्पश्चात् समिति द्वारा प्रकाशित दशम् पुष्प "श्री शीतलनाथ पूजा" विधान (हिन्दी) का विमोचन प्राचार्य श्री के करकमलों द्वारा करवाया गया। श्री भैरव पद्मावती कल्प : परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थुसागरजी महाराज विशाल संघ सहित वर्ष १९८७ का वर्षायोग अकलूज (महाराष्ट्र) में पूर्ण धर्म प्रभावना के साथ समाप्त करके चतुर्विध संध के साथ तीर्थराज श्री सम्शेदशिखरजी पहुँचे । ग्रन्थमाला समिति ने इस उपलक्ष्य में ११ वां पुष्प "श्री भैरव पद्मावती कल्पः" ग्रन्थ का प्रकाशन करवाकर इस महत्वपूर्ण ग्रन्थ का विमोचन परमपूज्य श्री १०८ प्राचार्य सन्मार्ग दिवाकर निमित्तज्ञान शिरोमरिण विमलसागरजी महाराज के कर-कमलों द्वारा दिनांक १३-३-८८ को विशाल जन-समूह के मध्य प्रवचन हाल में श्री महावीरजी अतिशय क्षेत्र पर अष्टान्हिका पर्व पर करवाया । यह समारोह बहुत ही सुन्दर रहा । सच्चा कवच परमपूज्य श्री १०८ प्राचार्य विमलसागरजी महाराज विशाल संघ सहित कुछ दिनों तक श्री महावीरजी अतिशय क्षेत्र पर ही विराजे । इसी बीच दिनांक ३१-३-८८ को श्री महावीर जयन्ति का शुभावसर पाया और ग्रन्थमाला समिति ने इस शुभावसर पर १२वां पष्प "सच्चा कवच' का प्रकाशन करवाकर श्री शांतिवीर नगर. सन्मति भवन में कार्यत्र आयोजित करके परमपूज्य श्री १०८ प्राचार्य विमलसागरजी महाराज के करकमलों द्वारा इस पुस्तक का विमोचन करवाया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता परम गुरुभक्त श्री ज्ञानचन्दजी जैन बम्बई वालों ने की, और हजारों की संख्या में इस समारोह में लोगों ने भाग लेकर धर्म लाभ प्राप्त किया। फोटो प्रकाशन एवं निःशुल्क वितरण माह फरवरी ८७ में बोरीवली बम्बई में आयोजित मानस्तम्भ पंचकल्याणक महोत्सव के शुभावसर पर (जन्म-कल्याणक महोत्सव) दिनांक ६-२-८७ को परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज व श्री १०५ गणिनी आर्यिका विजयामति माताजी के फोटो प्रकाशित कर इसका विमोचन न्यूयार्क निवासी धर्म स्नेही गुरुभक्त श्री महेन्द्रकुमारजो पाण्ड्या व उनकी धर्म पत्नि श्रीमति आशादेवीजी पाण्ड्या के करकमलों द्वारा करवाया। दोनों फोटो बहुत ही सुन्दर व मनमोहक हैं । विशिष्ट गुरूभक्तों को निःशुल्क वितरण की गई है। इसके साथ-साथ जिन मन्दिरों व क्षेत्रों पर समिति द्वारा फेम में जड़वाकर फोटो लगवाये गये है ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy