SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 401
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४२ ] व्रत कथा कोष इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, सहस्र नाम पढ़े, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, आदिनाथ चरित्र पढ़कर यह कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ्य में नारियल रखकर चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, यथाशक्ति उपवास करे, सत्पात्रों को दान देने, रात्रि में जागरण करे । इस प्रकार नौ दिवस पूजा करके दसवें दिन विसर्जन करावे, दस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करे, इस प्रकार इस व्रत को ६ वर्ष करे । अंत में उद्यापन करे, उस समय आदिनाथ तीर्थंकर प्रतिमा, यक्षयक्षि सहित नवीन लाकर, पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करावे, चतुर्विध संघ को चतुर्विध दान देवे, शास्त्र छपवाये, मन्दिर बनवाये, जीवों को अभयदान देवे । कथा आदिनाथ तीर्थंकर के पुत्र श्री भरत चक्रवति ने दिग्विजय के लिए निकलने के पहले नौ दिन बहुत उत्सव पूर्वक पूजा किया था, दान दिया था, आश्विन शुक्ला १०मो को विजय के लिये निकला था और पूर्ण षटखंड जीतकर वापस आकर आश्विन शुक्ला एकम से दशमी पर्यन्त रात दिन आदिनाथ व उनके यक्षयक्षिणी की आराधना की थी, इसीलिये इसका नाम नवरात्रि पड़ गया। दशमी के दिन समारंभ पूर्ण किया सो विजयदशमो कहलाई, जैनों को उपरोक्त विधि से ही नवरात्रि उत्सव व्रतादिक करना चाहिये, मिथ्या रूप से नहीं । सुख की प्राप्ति होगी । आदिनाथ चरित्र पढ़े। __ अथ नपुसकवेद निवारण व्रत कथा विधि :-पहले के समान करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि चैत्रकृष्णा २ के दिन एक भुक्ति (एकाशन) करे ३ को उपवास करे । विमलनाथ तीर्थंकर की पूजा, जाप, मन्त्र. पाने मांडना वगैरह करना चाहिये। अथ निर्णय व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान संबं विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ. ३ के दिन एकाशन करे, ४ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy