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________________ व्रत कथा कोष [ ३४३ करे, णमोकार मंत्र का जाप पांच बार करे, पांच दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र प्रादि दान करे | कथा पहले देवीजपुर नाम की नगरी में देवध्वज नाम का राजा देविली महारानी के साथ रहता था । उसका पुत्र देवकुमार उसकी स्त्री देवमालिनी, प्रधान नीतिसागर उसकी स्त्री चारुकीर्ति, पुरोहित चारुमति उसकी स्त्री राजश्र ेष्ठी उसकी पत्नी प्रियमित्रा पूरा परिवार सुख से रहता था । एक दिन उन्होंने देवध्वज राजा सहित सुभद्राचार्य के पास यह व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया और अनुक्रम से मोक्ष गए । अथ निग्रथ महाव्रत व्रत कथा व्रत विधि :- पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ कृ. ८ के दिन एकाशन करे, ६ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे ५ दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र आदि दान करे । कथा पहले कमलापुर नगरी के कमलसेन राजा कमलसुन्दरी अपनी महारानी के साथ रहते थे । उसका पुत्र कमलाकर व कमलावती, पुरोहित सारा परिवार सुख से रहता था । एक दिन उन्होंने कमलसागर मुनि से व्रत लिया, उसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए । श्रथ निश्चयनय व्रत कथा व्रत विधि :- पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ. सप्तमी के दिन एकाशन करे, ८ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे णमोकार मन्त्र का जाप १०८ बार करे व दम्पत्ति को भोजन करावे वस्त्र प्रादि दान करे | कथा श्रेणिक महाराजा व चेलना की कहानी पढ़नी चाहिये ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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