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व्रत कथा कोष
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करे, णमोकार मंत्र का जाप पांच बार करे, पांच दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र प्रादि दान करे |
कथा
पहले देवीजपुर नाम की नगरी में देवध्वज नाम का राजा देविली महारानी के साथ रहता था । उसका पुत्र देवकुमार उसकी स्त्री देवमालिनी, प्रधान नीतिसागर उसकी स्त्री चारुकीर्ति, पुरोहित चारुमति उसकी स्त्री राजश्र ेष्ठी उसकी पत्नी प्रियमित्रा पूरा परिवार सुख से रहता था । एक दिन उन्होंने देवध्वज राजा सहित सुभद्राचार्य के पास यह व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया और अनुक्रम से मोक्ष गए ।
अथ निग्रथ महाव्रत व्रत कथा
व्रत विधि :- पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ कृ. ८ के दिन एकाशन करे, ६ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे ५ दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र आदि दान करे ।
कथा
पहले कमलापुर नगरी के कमलसेन राजा कमलसुन्दरी अपनी महारानी के साथ रहते थे । उसका पुत्र कमलाकर व कमलावती, पुरोहित सारा परिवार सुख से रहता था । एक दिन उन्होंने कमलसागर मुनि से व्रत लिया, उसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए ।
श्रथ निश्चयनय व्रत कथा
व्रत विधि :- पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ. सप्तमी के दिन एकाशन करे, ८ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे णमोकार मन्त्र का जाप १०८ बार करे व दम्पत्ति को भोजन करावे वस्त्र प्रादि दान करे |
कथा
श्रेणिक महाराजा व चेलना की कहानी पढ़नी चाहिये ।