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________________ व्रत कथा कोष पंचमियों के पांच उपवास करे । फिर पौष कृष्ण चतुर्दशी से चैत्र कृष्ण चतुर्दशी तक सात चतुर्दशियों के सात उपवास करे। फिर चैत्र शुक्ला चतुर्दशी से प्राषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी तक सात चतुर्दशियों के सात उपवास करे । फिर श्रावण कृष्ण नवमी से अगहन कृष्ण नवमी तक नव नवमियों के नव उपवास करे । इस प्रकार ३५ उपवास द्वारा व्रत पूजा करे । प्रतिदिन अभिषेक पूर्वक नवकार मंत्र पूजन करे, पश्चात् उद्यापन करे। इस णमोकार मंत्र पैंतीसी व्रत के प्रभाव से गोपाल नाम का ग्वाला चम्पा नगरी में वृषभदत्त सेठ के यहां सुदर्शन नाम का पुत्र हुआ था और निमित्त पाकर वैराग्य धारण कर उसने कर्मों का नाश कर मोक्ष प्राप्त किया। नित्यानंद व्रत कथा विधि तीनों अष्टान्हिका पर्व में किसी भी अष्टान्हिका को अष्टमी से प्रारम्भ करे, व्रतिक स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर अभिषेक पूजा की सामग्री लेकर मंदिर में जावे, मंदिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर भगवान को नमस्कार करे, अभिषेक पीठ पर चतुर्विशति तीर्थंकर की प्रतिमा स्थापन कर अभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, जिनवाणी व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षिणियों का अर्घ करे, क्षेत्रपाल को अर्घ चढ़ावे, एक पाटे पर त्रिकालवति तीर्थंकरों के नामोच्चारण करते हुये, बहत्तर स्वस्तिक निकाले गंध से अथवा केशर से, उन साथियों के ऊपर अष्टद्रव्य रखे, बाद में श्रु त व गुरु की पूजा कर यक्षयक्षणी की पूजा करे, क्षेत्रपाल की पूजा करे। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं ऋषभादि वर्द्धमानांत्य चतुविशति तीर्थंकरेभ्यो पक्षयक्षि सहितेभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे, व्रत कथा पढे, जिनसहस्र नाम स्तोत्र पढ़े, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, एक महाअर्घ्य करके मंदिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर मंगल आरती उतारे, उसी दिन शक्ति प्रमाण उपवास या एकभुक्ति या कांजीयाहार या एकाशन करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, इस प्रकार प्रत्येक अष्टमी को पूजाविधि करे, प्रतिदिन जिनेन्द्र प्रभु का क्षीराभिषेक करके बहत्तर प्रक्षतपुञ्ज रखकर भगवान को नमस्कार करे, इस क्रम से एक वर्ष तक पूजाविधि
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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