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________________ ३१२ ] व्रत कथा कोष एक थाली में २४ पान अलग-अलग रखकर प्रत्येक पर अर्घ्य रखे । एक बड़ा फल रखकर ऊपर २४ बाती का दीपक जलावे, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर मंगल आरती उतारे, अर्घ्य भगवान को चढ़ा देवे, महावीर चरित्र पढ़े, व्रत कथा पढ़े, उस दिन उपवास रखे, निर्वाण क्षेत्र विधान करे अथवा सम्मेद शिखर विधान करे, लघु सिद्धचक्र विधान करे, रात्रि में दीपोत्सव करे, सत्पात्रों को आहारदान देकर स्वयं पारणा करे। इस प्रकार इस व्रत को २४ वर्ष करना चाहिये, अन्त में उद्यापन करे, उस समय महावीर जिनेन्द्र की नवीन प्रतिमा लाकर पंच कल्याणक प्रतिष्ठा करे, चतुर्विध संघ को आहारदानादि देवे, २४ लड्डू जिसमें नाना प्रकार के रत्नादि भरकर भगवान के आगे रखे, एक देव को, एक गुरु को, एक शास्त्र को, एक यक्ष, एक क्षेत्रपाल को चढ़ावे, एक पुरोहित को देवे, बाकी सौभाग्यवती स्त्रियों को देवे, दो स्वयं रख लेवे । इस व्रत में त्रयोदशी को एकाशन, चतुर्दशी को उपवास, अमावस्या को एकाशन करे, इस दिन निर्वाण के समय गौतम स्वामी की भी पूजा करे । कथा इस व्रत को कुणिक राजा ने किया था और सुधर्माचार्यजी से कथा कहने को कहा था, तब प्राचार्य श्री ने महावीर का चरित्र कह सुनाया। इस व्रत में महावीर तीर्थंकर का चरित्र पढ़ना चाहिये। अथ दानान्तराय कर्म निवारण व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ. ८ के दिन एकाशन करे, ह के दिन उपवास कर, पूजा वगैरह पहले के समान करे, णमोकार मन्त्र का जाप १०८ बार करे, १० दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र आदि दान करे। कथा पहले काशीर नगरी में कामसेन राजा कांतामती अपनी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र कामभूती, उसकी स्त्री कामरूपिनी, प्रधान गुणनिधी, उसकी
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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