________________
व्रत कथा कोष
[ ३११
लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करे, भगवान को नमस्कार करे। जिनेन्द्रदेव का पंचामृताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, गणधर स्वामी की पूजा कर यक्षयक्षिणी की पूजा करे व क्षेत्रपाल की पूजा यथाविधि करे, वस्त्राभूषण से सजावे, पकवान चढ़ावे, नारियल फोड़े।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं श्रीजिनेन्द्राय यक्षयक्षि सहिताय नमः स्वाहा । __ इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, एक थाली में नारियल सहित अर्घ्य रखकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन एकाशन करे, चतुर्दशी के दिन उपरोक्त प्रमाण से पूजा अभिषेक करके, मात्र अभिषेक, चौबीस तीर्थंकर प्रतिमा महावीर स्वामी प्रतिमा, यक्षयक्षि सहित स्थापन कर अभिषेक करं, उस दिन एक लाख दीपक जलावे ।
पूजा वेदिका पर पंचवर्ण से चौबीस कोष्ठक वाला मण्डल मांडकर पाठों दिशाओं में पाठ मंगल कलश रखकर वेदी को खूब सजावे, अष्ट प्रातिहार्य रखे, मध्य में एक कुम्भ सजाकर रखे, उसके ऊपर एक थाली में चतुर्विशति तीर्थंकर यन्त्र निकाले गन्ध से, उसके ऊपर चौबीस तीर्थंकर प्रतिमा और महावीर प्रतिमा स्थापन कर प्रष्ट द्रव्य से पूजा करे, महावीर भगवान की पूजा करे। एक लक्ष बार जल चढ़ावे, एक लक्ष बार चन्दन प्रादि इसी प्रकार एक-एक लक्ष बार प्रत्येक द्रव्य चढ़ावे । जब एक लक्ष दीपक जलाये जाते हैं तब्र ऐसा लगता है कि दीपावली आ गई । इसी प्रकार रात्रि जागरण पूर्वक बितांवे, रात्रि के अन्तिम पहर में भगवान महावीर का महाभिषेक करके पूजा करना, फिर निर्वाण लड्डू चढ़ाना, लड्डू के अन्दर स्वर्ण, चांदी, मोती आदि रत्न भरे ।
___ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं श्री महावीर तीर्थकराय मातंगयक्षाय सिद्धायनीयक्षी सहिताय नमः स्वाहा।
इस मन्त्र से १०८ बार स्वर्ण पुष्प और सुगन्धित पुष्प लेकर जाप्य करे, १०८ बार णमोकार मन्त्र का जाप करे ।