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________________ व्रत कथा कोष [ २८६ अष्टप्रातिहार्य मन्त्र अहं अशोक वृक्ष महाप्रातिहार्य जिनगुण संपदे नमः स्वाहा सुरपुष्पवृष्टि " " " " " " " " दिव्यध्वनि " " " " " " , , चतुषषष्टि चामर , , , , , , , " सिंहासन भामण्डल देवदुंदुभि छत्रत्रय दशजन्मातिशय मंत्र । अहं निस्वेदत्व, सहजातिशय जिनगुण निरaara सरजातिशय जिनगण संपदे नमः स्वाहा निर्मलत्व क्षीर गौरत्व , , समचतुरस्त्र संस्थान , वज्रवृषभ नाराच संहनन,, सौरूप्य सौरभ सौलण्य अप्रमित वीर्यत्व प्रियहितवादित्व , , , , केवलज्ञानातिशय मंत्रः ॐ ह्रीं अहँ गव्युति शतचतुष्टय, सुभिक्षत्व घातिक्षय जातिशय जिनगुणसंपदे नमः स्वाहा ॐ ह्रीं अहं गगनगमनत्व, घातिक्षय, जातिशय, जिनगुणसंपदे, नमः स्वाहा अप्राणिवधत्व " " " " " " भुक्त्य भावत्व , उपसर्गा भावत्व " " " " " "
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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