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________________ २८८ ] व्रत कथा कोष उसके बाद, जिनगुण सम्पत्ति मन्त्रों को पढ़ते हुए-अष्टद्रव्य से पूजा करे, मन्त्र इस प्रकार है। षोडश भावना मन्त्र ॐ ह्रीं अहं दर्शनविशुद्धि भावना जिनगुण संपदे नमः स्वाहा। १ ॐ ह्रीं अहं विनय सम्पन्नता भावना जिनगुरग संपदे नमः स्वाहा । २ ॐ ह्रीं अहं शीलवतेष्वनतिचार भावना जिनगुरण संपदे नमः स्वाहा ॥ ३ ॐ ह्रीं अहं अभिक्षण ज्ञानोपयोग भावना जिनगुण संपदे नमः स्वाहा ॥ ४ संवेग भावना स्याग भावना साधुसमाधि भावना , वैयावृत्यकरण भावना.., अर्हद्भक्ति भावना प्राचार्य भक्ति भावना बहुश्रु त भक्ति भावना प्रवचन भक्ति भावना प्रावश्यपरिहाणि भावना , , , मार्गप्रभावना भावना , , प्रवचन वात्सलत्य भावना , , , , , १३ पंचकल्याण मंत्र ॐ ह्रीं अहं गर्भावतरण कल्यारण जिनगुरण संपदे नमः स्वाहा १ " ". जन्माभिषेक । दीक्षा . केवलज्ञान , , , , , , , ४ , , निर्वाण निवारण " " " " " " " ५
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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