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________________ *••प्रकाशकीय मुझे हार्दिक प्रशन्नता है कि श्री दिगम्बर जैन कुथ विजय ग्रंथमाला समिति जयपुर (राजस्थान) द्वारा १७वें पुष्प के रूप में प्रकाशित "व्रत कथा कोष" नथ का विमोचन परम पूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुथु सागरजी महाराज के कर-कमलों द्वारा करवाने का परम सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। "व्रत कथा कोष" एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण ग्रंथ सिद्ध होगा क्योंकि गणधराचार्य महाराज ने बहुत ही कठिन परिश्रम करके सारे व्रतों का पूर्ण विवरण इस ग्रंथ में संग्रह करने का कार्य किया है। ग्रंथ में व्रतों के नाम, व्रत करने की विधि, व्रत समाप्त हो जाने पर उद्यापन विधि, किस संकट से मुक्ति पाने के लिये किसने व्रत किया था आदिआदि यह सब पाठकों को एक ही ग्रंथ में पढ़ने को प्राप्त हो सकेगा। परम पूज्य गणघराचार्य महाराज ने भव्य जीवों के लाभार्थ जो यह कार्य किया है. हम सब उसके लिये कृतज्ञ है और आपके श्री चरणों में कोटिशः २ बार नमोस्तु अर्पित करते हैं। परम पूज्य श्री १०८ गणधराचार्य महाराज आर्ष परम्परा के दृढ़ स्तम्भ है । समता वात्सल्यता निर्ग्रन्थता आपके विशेष गुण है। जो भी आपके एक बार दर्शन लाभ प्राप्त कर लेता है, वह अपने आपको धन्य मानता है। स्वकल्याण के साथ २ आपके भाव पर कल्याण के लिये भी सदैव बने रहते हैं। जिसका उदाहरण प्रापका विशाल संघ है। वर्तमान में प्रापके संघ में २६ साधु है जिसमें से प्राप ही के दीक्षित मुनियों की संख्या १७ हैं जो भारत वर्ष में विद्यमान किसी भी संघ में नहीं हैं। यह हमारे लिये बहुत ही गौरव व प्रसन्नता की बात है कि ऐसा विशाल संघ हमारे मध्य विराजमान है। पूर्वाचार्यों द्वारा लिखित तीर्थंकरो की वाणी के अनुसार भव्य जीवों को ग्रंथ पढ़ने को उपलब्ध हो सके और साथ ही साथ उन महत्त्वपूर्ण ग्रथों का प्रकाशन भी हो सके जिनका प्रकाशन आज तक नहीं हुआ है। इसके लिये आपकी प्रेरणा व शुभाशीर्वाद से जयपुर (राजस्थान) में वर्ष १९८१ में श्री दिगम्बर जैन कुथु विजय ग्रंथमाला समिति की स्थापना की गयी। आपने अनेक ग्रंथ लिखे । जो ग्रथ अन्य भाषाओं में थे उनका अनुवाद किया और टीकाए भी की। इस ग्रंथमाला से विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर १६ महत्त्वपूर्ण ग्रंथों का प्रकाशन हो चुका है । और १७वें ग्रंथ का अाज विमोचन होने जा रहा है । ग्रथमाला द्वारा प्रकाशित सभी ग्रथ एक से बढ़कर एक सुन्दर आकर्षक
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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