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________________ २७४ ] व्रत कथा कोष कुछ समय धर्मोपदेश सुनकर व्रत ग्रहण करने की इच्छा से राजा ने प्रार्थना की। उस समय मुनिवर ने उन्हें यह व्रत पालन करने को कहकर व्रत विधि बताई । सबने मुनिरान के पास यह व्रत ग्रहण किया। मुनिराज को नमस्कार करके राजा परिवार सहित नगर लौटे । नियमानुसार व्रत का पालन करने से वे सब स्वर्ग को तथा क्रम से मोक्ष गये । इस प्रकार यह व्रत है । ___अथ चतुर्विंशतियक्षो व्रत कथा व्रत विधि :- इस व्रत की पहले की कथा के अनुसार सब विधि करना । आश्विन शुक्ला ६ को एकाशन तथा ८ के दिन उपवास, पूजा आदि करना । यक्ष की जगह यक्षी के मन्त्र का जाप करना । अष्टमी १२ व चतुर्दशी १२ मिलकर २४ पूजा पूर्ण करे। कथा श्रेणिक महाराज व चेलना महारानी इन्हीं की कथा यहां लेना। अथ चतुर्विशतिगणिनी व्रत कथा . व्रत विधि :-फाल्गुन कृष्णा ३० के दिन एकाशन करना । चैत्र शुक्ला १ के दिन प्रातः स्नान करके नूतन धुले वस्त्र पहनकर पूजा की सामग्री लेकर जिनमन्दिर जाये । मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर भक्ति से साष्टांग नमस्कार करे। आरती करना । पीठ पर २४ तीर्थंकर प्रतिमा यक्षयक्षी के साथ स्थापित करके पंचामृत अभिषेक करना । उनकी अष्टद्रव्य के पूजा करना । श्रुत व गणधर की पूजा करके यक्षयक्षी व ब्रह्मदेव की अर्चना करना । एक पाटे पर २४ पान रखकर उस पर चावल, फल-फूल, नैवेद्य वगैरह रखना। ___ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं प्रहं वृषभादिवर्धमानांत्यवर्तमानतीर्थकरेभ्यो यक्षयक्षी साहितेभ्यो नमः स्वाहा ॥ इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प चढ़ाना । एक महाय॑ लेकर मंदिर की सीन प्रदक्षिणा करके मंगल प्रारती करना । उस दिन उपवास करना, सत्पात्र को प्राहारादि दान देना, दूसरे दिन पूजा व दान करके पारणा करना ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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