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________________ व्रत कथा कोष [ २५६ (३) संभवनाथ का बेला :-सप्तमी अष्टमी का उपवास और नवमी को तीन अंजुली दूध का पारणा । इसी प्रकार प्रत्येक सप्तमी, अष्टमी और त्रयोदशी-चतुर्दशी का बेला तथा नवमी और पून्यो को दूध का पारणा कर २४ बेला करे । 'प्रों ह्रीं वृषभादिचतुर्विशतितीर्थंकराय नमः' इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे। अथ चतुर्दशमनु व्रत कथा व्रत विधिः-चैत्र शुक्ला १३ के दिन एकाशन करे । १४ के दिन सुबह अष्ट द्रव्य लेकर मंदिर में जाये, वेदी पर अनन्तनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान कर पंच' मत अभिषेक करे । भगवान के सामने १० स्वस्तिक निकाल कर अष्टद्रव्य रखे और अपने इष्टदेव की आराधना करनी चाहिए । श्रुत व गणधर की पूजा करे । यक्षयक्षी व ब्रह्मदेव की पूजा करे । ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं अनंतनाथ तीर्थंकराय किन्नरयक्ष अनंतमति यक्षि सहिताय नमः स्वाहा । इस मन्त्र का १०८ बार पुष्पों से जाप्य करे । रणमोकार मन्त्र का जाप करे । यह कथा पढ़नी चाहिये । फिर १४ पत्त एक पान में रखकर महार्घ्य बनाकर चढावे । सत्पात्र को प्राहारदान दे । दूसरे दिन पूजा करके पारणा करे । तीन दिन ब्रह्मचर्यपूर्वक रहे। चतुर्विध संघ को आहारदान दे। १४ दम्पतियों को भोजन कराकर यथाविधि उनका सम्मान करे । इस प्रकार १४ चतुर्दशी तक यह व्रत करे फिर उद्यापन करे । उस समय अनंतनाथ तीर्थंकर का विधान कर महाभिषेक करे । कथा इस जम्बूद्वीप में पूर्वविदेह क्षेत्र में पुष्कलावती नामक एक विस्तीर्ण देश है।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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