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________________ फलदायक हैं इनमें एकाशन- उपवास फिर एकाशन-इस प्रकार तीन दिन में प्रोषधोपवास करें सिद्ध भक्ति, श्र त भक्ति पालोचना, शांतिपाठ, एव ओं ह्रीं णमो सिद्धाणम् सिद्धाधिपतये नम: का जाप करना चाहिए । व्रतों के उद्यापन रत्नत्रय-मंदिरजी में एक गोल चौकी या टेबल पर रत्नत्रय व्रतोद्यापन का मण्डल बनाना चाहिए, चार फुट लम्बी, चार फुट चौड़ी-श्वेत वस्त्र बिछाकर लाल, पीले हरे, नीले, श्वेत रंग के चांवलों से मण्डल मांडना चाहिये बीच में ओं ह्रीं रत्नत्रय व्रताय नमः । लिखें दूसरा मण्डल सम्यकदर्शन का होता है. इसके १२ कोठे हैं सम्यकज्ञान के ४८ कोठे-सम्यक चारित्र के ३३ कोठे मांडना, शुद्ध जल से भगवान का अभिषेक करें (सौभाग्यवती कुवारी-शुद्ध वस्त्रालंकृत महिलाए-शुभ मुहूर्त में जल लावें) छत्र, चमर, झारी, मंगल द्रव्य, जप, माला, कलश, दश शास्त्र, दस बर्तन. दम लक्षण यन्त्र, १०० चांदो स्वस्तिक, दस नारियल, १०० सुपारी आवश्यक हैं । दस घरों में फल बांटना चाहिए। षोड़शकारण :-मण्डल २५६ कोष्टक का होता है । दर्शनविशुद्धि में ६८ कोष्टक, विनय सम्पन्नता में ५, शीलभावना में १०, अभीक्षण ज्ञानोपयोग में ४२, संवेग में १४, शक्ति समाज में ४, शक्तित्रय में २४, साध समाधि में ४, वैयावत में ४, अहंद भक्ति में १३, प्राचार्य भक्ति में १२, श्रुत भक्ति में २, प्रवचन भक्ति में ५, आवश्यक परिहार में ६, मार्ग प्रभावना में १०, प्रवचन वात्सल्य में ४ कुल २५६ कोष्टक का मांडना रंगीन चांवलों से किसी अनुभवी-विद्वान के मार्ग दर्शन में मांडना चाहिए। जलयात्रा, अभिषेक, मंगलाष्टक, सकलीकरण, अंगन्यास. स्वस्ति वाचन आदि के उपरान्त षोड़शकारण। व्रतोपधान पूजा करनी चाहिए । एवं पुण्यावाहन, शांतिपाठ विसर्जन पाठ करें। सोलह घरों में फल वितरित करें। सामग्री :-षोड़शकारण यन्त्र, पूजन सामग्री, २५६ चांदी के स्वस्तिक, २५६ सुपारी १६ शास्त्र, १६ नारियल, बर्तन, छत्र, चंवर, मंगल द्रव्य, चंदोवा, दान को फल, नगद रुपये होवें। __अष्टान्हिका:-चारों दिशाओं में १३ कुल ५२ चैत्यालयों का मण्डल बनावें जलयात्रा अभिषेक-पूजन विधि पूर्वक करें मन्दिर में पाठ उपकरण, माठ-पाठ शास्त्र, पूजन सामग्री, चंदोका, ५२ चांदो के स्वस्तिक, ५२ सुपारी ४ नारियल हों सिद्धचक्र मंडल बनावें । ८१ कोष्ठकों का मण्डल, बीच में पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा हो मन्दिरजो में ६ शास्त्र, ६ बर्तन. उपकरण, चंदौवा, ८१ स्वस्तिक, ८१ सुपारी, ह नारियल, पूजन सामग्री, नौ श्रावकों के घर बांटने को नौ-नौ फल बांटें। ६ श्रावकों को भोजन कराये । रविवार व्रतोद्यापन :- इसमें मन्दिरजी को उपकरण, शास्त्र ६ बर्तन पूजन सामग्री, चदोवा, ८१ स्वस्तिक चांदी के, ८१ सुपारी, ६ नारियल सिद्ध यन्त्र, ८१ कोष्ठक मांडना, मध्य में पार्श्वनाथ मूर्ति श्रावकों के ६ घरों में ६ फल और नव श्रावकों को शुद्ध आहार देना चाहिए।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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