SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 276
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्रत कथा कोष [२१७ ढ़ । पूर्वोक्त कथा से मिलती-जुलती इसकी कथा है, इसलिये यहां नहीं दिया । कुम्भसंक्रमण व्रत कथा माघ महिने में कुम्भसंक्रमण आता है, उसी दिन इस व्रत को और पूजा विधान को करे, श्रेयांसनाथ की अभिषेक पूजा करे, मंत्रादिक सब पूर्ववत् जाप्य करे, कथा भी उसी प्रकार पढ़ े । अथ कुनय व्रत कथा व्रत विधि :- पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ शुक्ला १३ को एकाशन व १४ के दिन उपवास करे, जाप णमोकार मन्त्र का करे, एक दम्पति को भोजन करावें, वस्त्र आदि दान दे । कथा पहले भोगपुर नगर में अरिदमन नामक राजा गुरणमति नामक पट्टराणी के साथ राज्य कर रहा था । उसको सिंहघट नामक पुत्र था । उसकी मनोरमा नामक स्त्री थी । वसुदत राजश्रेष्ठी था । उसकी पत्नी वसुमति थी, इत्यादि उनका परिवार था । उन सबने अमलबुद्धि व विमलबुद्धि चारण ऋद्धि मुनिश्वर के पास यह व्रत लिया । इससे उनको स्वर्ग सुख मिला व अनुक्रम से मोक्ष सुख भी मिला । ऐसा यह दृष्टांत है । कल्याणमाला व्रत कथा आषाढ़, कार्तिक, फाल्गुन, इन तीनों प्रष्टाह्निका पर्वों में १० दिन व्रतीक प्रातः स्नान करके अभिषेक पूजा का सामान लेकर जिन मन्दिर में जावे, मन्दिर की तोन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करे, भगवान को नमस्कार करे, अभिषेक पीठ पर धरणेन्द्र पद्मावति सहित पार्श्वप्रभु की मूर्ति स्थापित करके पंचामृताभिषेक करे, जिनवाणी और गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षिणी व क्षेत्रपाल की अर्चना करे, भगवान के आगे एक पाटे पर भ्रष्ट स्वस्तिक निकाल कर उनके ऊपर पान रखे । फल, पुष्प, सुपारी, केला, भिगोये हुये चने के पृथक २ पुंज रख कर, पांच प्रकार का नैवेद्य चढ़ावे, भगवान को पुष्पों की माला चरणों में चढ़ावे ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy