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________________ व्रत कथा कोष [ २०३ १४८ कर्मप्रकृतियों को नष्ट करने के निमित्त १४८ उपवास किये जाते हैं । प्रत्येक उपवास के अनन्तर पारणा की जाती है । यह व्रत लगातार १६६ दिन तक एकान्तर रूप से उपवास और पारणा का क्रम लगाकर किया जाता है । व्रत के दिन में ॐ सर्वकर्मरहिताय सिद्धाय नमः अथवा णमोकार मन्त्र का जाप करने का नियम है । व्रत के दिनों में पांच प्रणुव्रत, तीन गुणव्रत, चार शिक्षा व्रत एवं सम्यक् तप का आचरण तथा पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने का विधान है । रानी चेलना की कथा पढ़ े । व्रत के पूरा होने पर उद्यापन करे, उस समय सिद्धाराधना करे सिद्ध प्रतिमा की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करे, दानादिक देवे । कथा कोकिलापञ्चमी व्रत आषाढ़ वदी पञ्चमी से पांच मास तक प्रत्येक कृष्ण पक्ष पञ्चमी को पांच वर्ष तक यह किया जाता है । इस व्रत में उपवास के दिन चारों प्रकार के आहार का त्याग कर पूजन, अभिषेक, शास्त्र - स्वाध्याय एवं धर्मध्यान करने चाहिए । ॐ ह्रीं पञ्चपरमेष्ठिभ्यो नमः मन्त्र का जाप इस व्रत में करना चाहिए । व्रत पूर्ण होने पर अन्त में उद्यापन करे, उस समय पंचपरमेष्ठि विधान करे, चतुविध संघ को दान देवे । कथा राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़ े । कनकावली व्रत को विशेष विधि कनकावल्यां तु प्राश्विन शुक्ले प्रतिपत्, पञ्चमी, दशमी; कार्तिक कृष्णपक्षे द्वितीया, षष्ठी, द्वादशी चेति, एवं एतद्दिवसेषु सर्वेषु मासेषु घोपवासाः द्विसप्ततिः कार्याः, इयं द्वादशमासभवा कनकावली । कस्यापि मासस्य शुक्ल कृष्णपक्षयोः षडुपवासाः कार्याः, एषा सावधिका मासिका कनकावली ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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