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________________ २०२ ] प्रत कथा कोष कांजिक आहार अर्थात् पानी और भात लेवे । यदि शक्ति हो तो दुगुना-तिगुना भी बढ़ा सकते हैं । व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे । नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे। कृष्णपंचमी पंत कृष्ण पंचमी व्रत विधि तास, जेठ कृष्ण पंचिम उपवास । -वर्ध. पु. भावार्थ :--यह व्रत ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी के दिन किया जाता है । इस दिन उपवास करे। त्रिकाल नमस्कार मन्त्र का जाप्य करे। ५. वर्ष बाद उद्यापन करे। कांजीबारस वैत भादों सुदी द्वादश के विना, प्रोषध करे श्री जिनमना । भावार्थ:-भादों सुदी १२ के दिन उपवास करे । नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । बारह वर्ष पूर्ण होने पर उद्यापन करे । कली चतुर्दशी व्रत प्राषाढी सित चौदस होय, तब से यह त लीजो सोय । दोहा-चार मास की चौदसी, शुक्ल पक्ष जब होय । बत कोजे शुम भाव सों, मुक्ति वधू को लोय ॥ -कथाकोष भावार्थ :-यह व्रत आषाढ़ शुक्ल १४ से प्रारम्भ होता है एवं आषाढ़ श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, इन चार मास की शुक्ला चतुर्दशियों को उपवास करे । नमस्कार मन्त्र का जाप्य करे । ४ वर्ष पूर्ण होने पर उद्यापन करे । कर्मचूर गत कर्मचूर या कर्मक्षय वैत २९६ दिनों में पूरा किया जाता है। इस व्रत में
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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