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व्रत कथा कोष
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भावार्थ :-यह व्रत चार सौ पचासी दिन में पूरा होता है, जिसमें ४०५ उपवास और ८० पारणे होते हैं । यथा
एक उपवास, एक पारणा, दो उपवास, एक पारणा, इस प्रकार : उपवास तक बढ़े फिर एक-एक उपवास कम करता हुमा १ तक आवे । इस प्रकार : बार बढ़ावे व घटावे । एक बार में ४५ उपवास और ६ पारणा होते हैं। कुल नौ प्रावृत्ति के ४०५ उपवास और ८० पारणा में व्रत पूर्ण होता है । नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे । व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे ।
एशोदश व्रत एशोदश व्रत छह सौ पचास, सौ जेवा साढ़े पांच सौ वास । दशलों चढ़े अनुक्रम सोय, जो लों व्रत पूरण नहिं होय ॥
-वर्धमान पु० भावार्थ :- यह व्रत ६५० दिन में पूरा होता है जिसमें ५५. उपवास और १०० पारणायें होती हैं । यथा
जिस किसी मास में प्रारम्भ करे । प्रथम दिन एक उपवास, एक पारणा, फिर दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, इस प्रकार एक-एक उपवास बढ़ाकर १० उपवास तक बढ़ावे, फिर ६ उपवास, एक पारणा, ८ उपवास एक पारणा, इस प्रकार १-१ घटाकर एक तक आवे । इस प्रकार दश आवृत्ति में ५५० उपवास और १०० पारणा होकर व्रत पूर्ण हो जाता है। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे।
कंजिक व्रत कंजिक व्रत जल भात प्राहार, चौंसठ दिन पाले निरधार । यथा शक्ति कछु और प्रतन्त, तितने मास बरष परयंत ॥
-व० पु० भावार्थ :-यह व्रत एक वर्ष के भीतर ६४ दिन में समाप्त होता है। किसी भी मास के प्रथम दिन से यह व्रत प्रारम्भ करे। चौंसठ दिन तक सिर्फ