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१६. ]
- व्रत कथा कोष
अभिषिक्त देव की अर्चना करे । श्रत व गणधर की पूजा करके यक्ष यक्षी व ब्रह्मदेव की पूजा करे।
जाप :-"ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं शीतलनाथाय ईश्वर यक्ष वैरोतीयक्षीसहिताय नमः स्वाहा ।" .
इस मन्त्र का १०८ पुष्पों से जाप करे । यह कथा पढ़नी चाहिए। एक पात्र में पत्ते व अष्टद्रव्य और नारियल रखकर महार्घ्य करके आरती करे।
___सत्पात्र को दान दे । ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए धर्म-ध्यानपूर्वक समय बितावे ।
कथा
इस भरतक्षेत्र में नद्यापर्वत नामक एक नगर है । उसमें नंदिषेण नामक एक धार्मिक, बड़ा पराक्रमी राजा अपनी रानी नंदादेवी के साथ रहता था । एक बार नंदोषेण नामक मुनि महाराज अपने संघ सहित आये। यह सुन राजा अपने नगरवासियों सहित दर्शन को पाया।
उनके सामने यह व्रत लेकर राजा ने उसका यथाविधि पालन किया। जिसके प्रभाव से स्वर्ग गया और अनुक्रम से मोक्ष गया।
अथ उपगृहनांग व्रतकथा विधि :-पहले के समान सब विधि करें।
अन्तर केवल इतना है कि कार्तिक शु. ४ के दिन एकाशन करे, ५ के दिन उपवास पूजा आराधना करे ।
जाप :-ॐ ह्रीं अर्ह उपगृहन सम्यग्दर्शनांगाय नमः स्वाहा ।
पांच दम्पतियों को भोजन करावे । सम्यग्दर्शन उपगृहनांग में पहले जिनेन्द्र भक्त ने किया था उसकी अच्छी गति हुई।
उत्तममुक्तावली व्रत की विधि उत्तममुक्तावलीव्रतं वच्मि, तृतीयभवमोक्षदम्। भाद्रपद शुक्ल सप्तम्यां प्रोषधं कृत्वा अष्टम्यामुपवासं कुर्यात् । पश्चात्