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व्रत कथा कोष
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अथ एकेन्द्रियजातिनिवारण व्रत कथा
व्रत विधि :फाल्गुन कृष्णा ३० ( अमावस्या ) के दिन यह व्रत करने वाले एकाशन करना चाहिए । चैत्र शुक्ला १ के दिन स्नान करके सफेद वस्त्र पहन कर सब पूजा सामग्री लेकर मन्दिर जाये । मन्दिर के बाहर तीन प्रदक्षिणा देकर साष्टांग नमस्कार करना चाहिए । फिर पीठ के ऊपर आदिनाथ भगवान की मूर्ति के साथ गोमुखयक्ष व चक्रेश्वरी यक्षी को साथ स्थापित कर पंचामृत अभिषेक करना चाहिये । अष्टद्रव्य से पूजा करनी चाहिये । श्रुत व गणधर की पूजा करनी चाहिये । यक्षयक्ष ब्रह्मदेव की अर्चना करनी चाहिए ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं श्रहं आदिनाथ तीर्थंकराय गोमुख यक्ष चक्र ेश्वरीयक्षी सहिताय नमः स्वाहा ।"
इस मन्त्र का १०८ बार जाप पुष्प से करना चाहिये । उसके बाद यह कथा पढ़नी चाहिए । उसके बाद एक पात्र में १ पान रखकर उस पर अष्टद्रव्य से व नारियल से महार्घ्य देना चाहिए । उस दिन उपवास करके धर्मध्यान पूर्वक समय बिताना चाहिए । सत्पात्र को आहार देना चाहिए। दूसरे दिन पूजा व दान करके पारणा करना चाहिए। दोपक जलाना व सहस्रनाम व तत्वार्थसूत्र पढ़ना चाहिए । इस प्रकार प्रत्येक मास में करना चाहिए। ऐसा सात महिने तक करना चाहिए । फिर कार्तिक मास की अष्टाह्निका में उद्यापन करना चाहिए। उसमें आदिनाथ विधान व भक्तामर विधान करना चाहिए । अन्त में महाभिषेक करना चाहिए ।
कथा
श्रेणिक व चेलना की कथा पढ़नी चाहिये । नोट :
- ब्रह्मदेव अथवा क्षेत्रपाल की पूजा करनी चाहिए ।
प्रथ एकादश रुद्र व्रतकथा
व्रत विधि :-- प्राषाढ़ शु. १०मी के दिन एकाशन करे । ११ के दिन प्रातः समय शुद्ध कपड़ े पहन कर मन्दिर में जाये । दूसरी सब विधि पहले के समान करे । पाटे पर शीतलनाथ तीर्थंकर की प्रतिमा विराजमान कर पंचामृत अभिषेक करे । एक पाटे के ऊपर ११ स्वस्तिक निकाल कर उस पर पत्ते व प्रष्ट द्रव्य रखे और