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________________ व्रत कथा कोष [ १३१ सत्पात्र को प्राहारादि दें । उस दिन उपवास करके धर्मध्यापूर्वक समय बितायें । दूसरे दिन पूजा व दान करके पारणा करना, तीन दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना । इस प्रकार माह में दो बार उसी तिथि को व्रत पूजन करना । ऐसी पाठ पूजा पूर्ण होने पर इसका उद्यापन करें । उद्यापन के समय श्री चन्द्रप्रभ तीर्थंकर विधान करके महाभिषेक करें। चतुःसंघ को चार प्रकार का आहार दें । पाठ नये मिट्टी के बर्तनों में आठ प्रकार के धान्य भर कर सूत बांध कर गंधाक्षत लगाना और वह भगवान के सामने रखना। उसमें से देव गुरु शास्त्र के सामने एकएक रखना, १ गृहस्थाचार्य को, १ पद्मावती को, १ जल देवता को, १ क्षेत्रपाल को व १ स्वयं के घर रखें । यह इसकी पूर्ण विधि है। यह व्रत निर्दोष पालने पर पूर्व में जिन्हें सद्गतिसुख प्राप्त हुआ उनकी कथा इस प्रकार है कथा जम्बूद्वीप में पूर्व विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती नामक विशाल देश है । पुडरीक नामक राज्य में मेघरथ राजा राज्य करता था। उसकी मनोहरा पटरानी थी। तथा दढरथ पूत्र और वसुमती भी स्त्री थी । जिससे वारिषेण पुत्र हुए ऐसी सुरदेवी नाम की सुशील स्त्री भी थी। पुत्र-पौत्र, मन्त्री, सेनापति, राजपुरोहित, राजश्रीष्ठी आदि के साथ राजा सुख से कालक्रमण कर रहा था। एक दिन नगर के उद्यान में सूर्यगति व चन्द्रगति नाम के दो चारण ऋद्धिधारी मुनी पाए । जिसे सुनकर राजा पैदल परिवार के साथ दर्शनों को गये । उनकी तोन प्रदक्षिणा करके पूजा स्तुति को । धर्मोपदेश सुनने के बाद हाथ जोड़कर बोले हे दयासिंधु मुनिवर्य आज आप हमें व्रत बतायें । मुनिवर ने उन्हें अष्टदिक्कन्या व्रत की विधि बतायी । यह सुनकर सब को आनन्द हुआ । उस राजा ने परिवारजनों के साथ यह व्रत ग्रहण किया । पश्चात् सब नमस्कार करके नगर को लौटे। योग्य समय तक इस व्रत का पालन करके उद्यापन किया । इस व्रत के करने से मेघरथ राजा को अवधिज्ञान प्राप्त हुा । बाद में जिनदीक्षा धारण कर घोर तपश्चरण किया जिससे शुक्लध्यान से कर्मक्षय कर मोक्ष को गये । उनको धर्मपत्नी वगैरह परिवारजन भी अपनी योग्यतानुसार सर्वार्थसिद्धि में देव हुए।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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