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________________ १३२ ] व्रत कथा कोष पायुकर्म निवारण व्रत कथा आषाढ शुक्ल ५ पंचमी को शुद्ध होकर मन्दिर में जावे, तीन प्रदक्षिणा लगाकर भगवान को नमस्कार करे, सुमितनाथ भगवान की पंचामताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गणधर की व यक्षयक्षी व क्षेत्रपाल की पूजा करे। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं समति नाथाय तुंबल्यक्ष पुरुष दताययक्षी सहिताय नमः स्वाहा। इस यंत्र को १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकारमंत्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढे, पूर्ण अर्घ्य चढावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, सत्पात्रों को दान देवे, दूसरे दिन पूजा व दान करके स्वयं पारणा करे, ब्रम्हचर्य पूर्वक रहे, इस प्रकार शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को पूर्वोक्त प्रकार पूजा करके, अंत में कार्तिक अष्टान्हिका में उद्यापन करे, उस समय सुमतिनाथ तीर्थकर विधान करके महाभिषेक करे, पाँच सौभाग्यवती को भोजनादि व रत्नालंकार देवे। कथा राजा श्रीणिक व रानी चेलना की कथा पढे । अधिक सप्तमी व्रत कथा नत्वा श्री वृषभं देवं । सर्व कामार्थ कारणं । सर्वलोक प्रमोदाय । वक्ष्येऽहं सप्तमी कथां । आषाढ, कार्तिक, फाल्गुन इन महिनों की कोई भी एक सप्तमी को प्रातः काल स्नान करके शुद्ध धूले हुवे वस्त्र पहन कर सर्व प्रकार का पूजा साहित्य हाथों लेकर जिनमंदिर को जावे, मंदिर की तीन प्रदक्षिणा देकर साक्षात भगवान का ईर्यापथ शुद्धि पूर्वक दर्शन करे, जिनेन्द्र प्रभु के सामने अखण्ड-दीप जलावे, अभिषेक पीठ पर यक्षयक्षी सहित आदिनाथ प्रभु को प्रतिमा स्थापन कर पंचामृत अभिषेक करे, फिर अष्टद्रव्य से पूजा करे । यहाँ यक्षयक्षी सहित प्रतिमा स्थापन करे लिखा है, अगर यक्षयक्षी सहित प्रतिमा नहीं मिले तो जैसी मिले वैसी प्रतिमा स्थापन करके, जहां जैसी परम्परा हो वैसे प्रभू का अभिषेक किया करे।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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