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________________ ६० ] व्रत कथा कोष करना चाहिए | परन्तु शक्तिप्रमाण व्रत करने का अर्थ यह कदापि नहीं है कि अपनी शक्ति को छिपाया जाय । व्रत करने से शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, जो अपने को निःशक्ति समझते हैं, उन्हें भ्रात्मा का पक्का श्रद्धान नहीं हुआ है - भेदविज्ञान की जागृति नहीं हुई है । भेदविज्ञान के उत्पन्न होते ही इस जीव को अपनी वास्तविक शक्ति का अनुभव हो जाता है । शरीर से मोह करने के कारण ही यह जीव अपने को शक्तिहीन समझता है । परन्तु जैनदर्शन में शारीरिक शक्ति श्रात्मा की शक्ति से ही अनुप्रमाणित बतलायी है । अतः अनन्त बलशाली श्रात्मा को कभी भी शक्तिहीन नहीं समझना चाहिए। मैं चतुर हूँ, पण्डित हूँ, ज्ञानी हूँ, प्रादि मानना बहिरात्मापना है । रागी, द्व ेषी, लोभी, मोही, अज्ञानी, दीन, धनी, दरिद्री, सुरूप, कुरूप, बालक, कुमार, तरूण, वृद्ध, स्त्री, पुरूष, नपुंसक, काला, गोरा, मोटा, पतला, निर्बल, सबल आदि अपने को एकान्त रूप से समझना मिथ्यात्व का द्योतक है । जिसको शरीर में आत्मा की भ्रान्ति हो जाती है, जो शरीर के धर्म को ही श्रात्मा का धर्म मानता है, वह मिथ्यादृष्टि बहिरात्मा है । अतः व्रत करने में सर्वदा अपने को शक्तिशाली ही समझना चाहिए । जो लोग अपने को शक्तिहीन कहकर व्रत करने से भागते हैं वे वस्तुतः श्रात्मानुभूति से हीन हैं । रत्नत्रय ग्रात्मा का स्वरुप है, इसकी प्राप्ति व्रताचरण से ही हो सकती है । व्रताचरण संसार और शरीर से विरक्ति उत्पन्न करता है। मोह के कारण यह आत्मा अपने स्वरुप को भूला है, मोह के दूर होते ही स्वरुप का भान होने लगता है । शरीर अनित्य है और आत्मा नित्य । यह अनादि, स्वतःसिद्ध, उपाधिहीन एव निर्दोष है । इस प्रात्मा को तीक्ष्ण शस्त्र काट नहीं सकता है, जलप्लावन इसे भिगा नहीं सकता । पवन की शोषकशक्ति इसे सुखा नहीं सकती । ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, सम्यक्त्व, अगुरुलघुत्व प्रादि स्वाभाविक आठ गुरण इसमें वर्तमान हैं । ये गुण इस आत्मा के स्वभाव हैं, आत्मा से अलग नहीं हो सकते। जो व्यक्ति इस मानव शरीर को प्राप्त कर आत्मा की साधना करता है, व्रतोपवास द्वारा विषय कषायजन्य प्रवृतियों को दूर करता है, वह अपने मनुष्य जीवन को सफल कर लेता है ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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