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________________ भूमिका :8 J आगम साहित्य : मनन और मीमांसा में, देवेन्द्र मुनि शास्त्री' ने चतुःशरण आतुर प्रत्याख्यान, भक्तपरिज्ञा एवं आराधना पताका के कर्ता के रूप में वीरभद्र का उल्लेख किया है परन्तु तत्सम्बन्धी प्रमाण की कोई चर्चा नहीं की है। जैन परम्परा में वीरभद्र के दो उल्लेख प्राप्त होते हैं । प्रथम वीरभद्र तो महावीर के साक्षात् शिष्य माने जाते हैं किन्तु इनकी ऐतिहासिकता स्पष्ट नहीं है । द्वितीय वीरभद्र का उल्लेख वि० सं० १००८ प्राप्त होता है। हो सकता है वीरस्तव द्वितीय वीरभद्र की ही रचना हो । वीरस्तव में ग्रन्थकर्त्ता ने कहीं पर भी अपने नाम का संकेत नहीं किया है । इसके पीछे ग्रन्थकार की यह भावना रही होगी कि महावीर के विभिन्न नामों से मैं जो स्तुति कर रहा हूँ व सर्वप्रथम मेरे द्वारा तो की नहीं गयी है । अनेक पूर्वाचार्यों एवं ग्रन्थकारों द्वारा इन नामों से महावीर की स्तुति की जा चुकी है। इस स्थिति में में ग्रन्थ का कर्त्ता कैसे हो सकता हूँ ? इसमें मन्थकार की विनम्रता एवं प्रामाणिकता सिद्ध होती है । वैसे भी प्राचीन स्तर आगम ग्रन्थों में कर्त्ता का नामोल्लेख नहीं पाया जाता है अतः यह माना जा सकता है कि वीरस्तव भी प्राचीन स्तर का ग्रन्थ है । के जहाँ तक वीरस्तव के रचनाकाल का प्रश्न है, सूत्र में आगमों का जो वर्गीकरण प्राप्त होता है कोई उल्लेख प्राप्त नहीं होता है । नन्दी एवं पाक्षिक उसमें वीरस्तव का इसके पश्चात् दिगम्बर परम्परा की तत्त्वार्थ की टीकाओं एवं यापनीय परम्परा के मूलाचार, भगवती आराधना आदि में भी वीरस्तव का उल्लेख प्राप्त नहीं होता है। इसले यह तो स्पष्ट है कि यह छठीं शताब्दी के पूर्व में अस्तित्व में नहीं था । वीरस्तव प्रकीर्णक का सर्वप्रथम उल्लेख विधिमार्गप्रपा नामक ग्रन्थ में प्राप्त होता है इससे यह स्पष्ट है कि वीरस्तव प्रकीर्णक नन्दी एवं पाक्षिक सूत्र अर्थात् छठीं शताब्दी के पश्चात् तथा विधिमार्गप्रपा १४वीं शताब्दी के पूर्व अस्तित्व १. ( अ ) जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा पृ० ४०० (a) The Canonical Literature of the Jainas Page-51-52 २. The Canonical Literature of the Jainas Page 52
SR No.090540
Book TitleAgam 33 Prakirnak 10 Viratthao Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Sagarmal Jain
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size789 KB
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