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मला खास तात्पर्य उस समय यही था कि यह पुरुष जो इस स्त्रीको मार रहा है यह स्त्री इसकी व्या
हिता है वा भगाई हुई है। मरे मनुष्यको देखकर जो कुमारने यह प्रश्न किया था कि 'यह मुर्दा आजको मरा है वा पहिले हो मर चुका है ' ? यह भी उनका प्रश्न बडी निपुणताका था क्योंकि जो मनुष्य धर्मात्मा दानी तेजस्वी आदि उत्तम गुणोंका भंडार होता है और वह मर जाता है |
उसको तो आजका मरा हुमा कहते हैं और जो दुर्गुणोंका खानि होता है वह भले ही आज ही Iमरा हो तो भी वह पहिलेका मरा हुआ ही माना जाता है । कुमारका आशय भी उस समय यही
था। धान्यके खेतको देखकर जो कुमारने यह पूछा था इस खेतके स्वामीने इस खेतका उपभोग कर लिया है वा करेगा ? यह प्रश्न भी कुमारका बड़ी बुद्धिमानीका था क्योंकि जो खेत कर्ज लेकर | बोया जाता है उसके धान्यका तो पहिले ही उपभोग कर लिया जाता है और जो कर्ज न लेकर वोया जाता है उस खेतके धान्यको उसका स्वामी भोगेगा, ऐसा कहा जाता है। कुमारका प्रश्न भी उस समय इसी आशयको लेकर था। कुमारने जो यह प्रश्न किया था कि इस हलमें | कितनी शाखा हैं ? यह प्रश्न भी कुमारका बडा मार्केका था क्योंकि उस समय कुमारका यह आशय था कि इस हलके स्वामी कितने किसान हैं ? इसलिये यह प्रश्न भी कुमारका मूर्खता परि-2 पूर्ण न था । तथा इस बदरी वृक्षपर कितने कांटे हैं ? यह जो कुमारने पूछा था वह पूछना भी उनका बड़ी कुशलतासे था क्योंकि कांटे दो प्रकारके होते हैं एक सीधे दूसरे टेढ़े। दुर्ज नोंके वचन । भी सीधे टेड़े दोनों प्रकारके होते हैं कुमारका पूछना भी इसी आशयको लेकर था" इसलिये हे पूज्यपिता : जिस कुमारको आपने मुर्ख समझ रक्खा है वह बत्तीस शुभ लक्षणोंका धारक | अत्यंत बुद्धिमान है कृपाकर अब शीघ्र बताइये कि वह चतुर कुमार इससमय कहां है ? उत्तरमें इंद्रदत्तने कहा
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