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________________ पापनका TREMEY TRE REAP Aakaraka Yaa कुंभान जलैःपूर्णान् समुद्रान वनसंस्कृतान ८॥ कृत्वा मीत्र सुतेभ्य एसीया जलागि तिमोगम! अनुद्घाट्य सुभुजत ॥ ॥ तथा करिष्यति है राजन्नाधिपत्याधिपो हि सः । एवं पंचनिमित्तांकानिगध विरराम सः ॥११॥ तथाकान्निराधोशो लक्षणश्च -परीक्षण। श्रोणिक राज्यनाथ हि मत्वा चित्तेऽन्वचिंतयत् ॥ १२ ॥ अहो चलातिपुत्राय दत्तं राज्यं मया पुरा । लक्षण : सन्नयं राजा कि तयार हो जाय समस्त पुत्रोंको बुलाकर एक पंक्तिमें जीमनेके लिये विठा दीजिये और पीछ ल से उनपर भयंकर कुत्तोंको छोड़ दीजिये जो प्रतापी पुत्र अपनी उग्र शक्तिसे उन कुत्तोंको हटाकर 2 सानन्द भोजन करता रहेगा समझ लीजिये महाराज ! वही अपने मनोहर रूपसे कामदेवको भी जीतने वाला कुमार राजा बनेगा अन्य नहीं । राज्य प्राप्तिका चौथा निमित्त यह है कि नगमरमें आग लगानेपर जो पुत्र राज्यके मुख्य चिन्ह छत्र चमर और सिंहासनको लेकर भागे बस वही 12 राजा बननेका अधिकारी है अन्य नहीं । तथा राज्यप्राप्तिका पांचवा निमित्त यह है कि आप खाजे १ और लाडुओंसे भरवाकर पिटारोंको रखवा दीजिये और जलसे परिपूर्ण कोरे घड़े जिनपर कि मोहर लगी हो और जिनका मुख वस्त्रसे ढांका हुआ हो रखवा दीजिये जिस समय यह कार्य हो चुके उस समय आप समस्त पुत्रोंको बुलाइये। उन्हें एक एक पिटारा और एक एक जलसे भरा घड़ा दीजिये और यह आज्ञा कर दीजिये कि वे पिटारे और घड़ोंका मुख खोले बिनाही खाजे आदि पदार्थ खावें और पानी पीवें । समस्त पुत्रोंमें जो प्रतापी पुत्र यह कार्य करेगा बस वही राजा बनेगा अन्य राज्यका भार नहीं सह सकता। बस राज्यकी प्राप्तिके पांच निमित्त यतलाकर वह 24 ज्योतिषी चुप रहगया ॥८५-६१॥ ज्योतिषीके कहे अनुसार महाराज उपश्रेणिकने भी पूर्वोक्त निमित्तोसे राज्यकी प्राप्तिके योग्य पुत्रकी परीक्षा करनी प्रारम्भ कर दी । समस्तपरीक्षाओं में पास १ कुमार श्रेणिक ओसके जलसे पूर्ण घास पर कपड़ा बिछाकर और उसे नीचोड़कर धड़ा भर लिया था और किसी पुत्रको यह अकाल नहीं सूझी थी । २ कुमार श्रीणिक ने पिटारा हिला २ कर चूर कर सब माल खा लियाथा। घड़ाटेढ़ाकर पानी पी लिया था। ЖҮЖҮЖҮЖҮЖүкккккккккккк
SR No.090538
Book TitleVimalnath Puran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size14 MB
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