SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सगृहा ॥ ३ ॥ पुरुदेवान्वये राजा जातो राजमुखो यलो । कृतवर्माभिवस्तत्र प्रतापातिभूतलः ॥ ४॥ सर्वसामंत संसंव्यपादो रत्नरिपार्णवः । ऋरसौम्यगुणैर्भाति प्रभामार रविः प्रभः ॥ ५॥ सुदानाधिनिर्यातां भुवं संश्रित्य रोहति । ब्रह्मलोक समुल्लव्य स्वधुनीव शिवं नभः । ६ । निर्जरैरप्सरोभिश्च लोकिता सावरं सदा । यत्कीर्तिः कुदशोतांशु विशुभ्रामरजिताः ॥७॥ (पुग्न) चंद्रस्याचंद्रभा चांद्रोह समस्त राजाओंने प्रधान था । वलवान था एवं अपने प्रचंड प्रतापसे समस्त पृथ्वीनतको वश करने आला था ॥ ४॥ जिसप्रकार नाना प्रकार के रलोंसे समुद्र सेवित–व्याप्त रहता है उसोप्रकार यह समस्त सामंतोंसे सेवित था। समयानुसार क्रूरता और सौम्य गुणोंसे शोभायमान था एवं सूर्य के समान चमचमाती हुई प्रभाका धारक था ॥ ५ ॥ जिसप्रकार ब्रह्मलोकको उल्लंघनकर गंगानदीका प्रवाह बहता है एवं मोक्षको अतिक्रमण कर आकाश–अलोकाकाशकी विद्यमानता है उसीप्रकार के उत्तम दानरूपी समुद्रसे निकली हुई पृथ्वीको आश्चर्यकर वह उदयको प्राप्त थी अर्थात् इच्छानुसार दान देने कारण वह संसारमें सवोंमें चढ़बढ़ कर था-राजा कृतवर्मासे बढ़कर उससमय कोई श्री दानी नहीं था। वह राजा इतना सुंदर था कि देव और देवांगना उसे बड़ी आदरकी दृष्टि |से देखते थे । रसका यश कुन्द पुष्प और चंद्रमाके समान उज्वल थी और अत्यंत शोभायमान था ॥ ६-७॥ 12 राजा कृतवर्माकी महाराणोका नाम जयश्यामा था जो कि चंद्रमा के समान मुखसे सोभाय भान थी। चंद्रमाके समान कातिकी धारक थी। साक्षात् चंद्रमाकी कला जान पड़ती थी। मिष्ट | और मधुर बोलने वाली थी। राजहंसके समान मनोहर चाल चलने वाली थी। श्यमा श्री एवं कानोंतक विशाल नेत्रोंकी धारक थो लोग जिस समय उसे देखते थे उस समय वे यही समझो थे कि यह साक्षात् कामदेवकी स्त्री रति है कि लक्ष्मी है कि पद्मावती देवी है वा चन्द्रमाको बी रोहिणी वा सूर्यको स्त्री है ॥ ८॥ वह महाराणी जय श्यामा पीन स्थनोंसे शोभायमान थी उलका | КЕККЕКЕсүүкүKKEKYKKKKKK main HAJASuitmummmmun
SR No.090538
Book TitleVimalnath Puran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy