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________________ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका ११. राजनीति सूत्र, १२. चतुरंग सूत्र, १३--२१ हाथी, घोड़ा, स्त्री, छत्र, गाय, तलवार, दण्ड, अंजन, इनके लक्षण बताने वाले सूत्र । २१ व्यञ्जन सूत्र- किसी के शरीर पर तिल, मसा, लशन आदि देखकर शुभाशुभ कहना व्यंजन सूत्र हैं । २३. स्वर सूत्र--किसी पशु-पक्षी की आवाज सुनकर शुभाशुभ कहना स्वर निमित्त है। २४. अंग सूत्र- किसी स्त्री अथवा पुरुष के नाक, कान आँख, अँगुली आदि को देखकर शुभाशुभ कहना अंग निमित्त है। २५. लक्षण सूत्र–शरीर में होने वाले ध्वजा आदि को देखकर शुभाशुभ कहना लक्षण निमित्त है। २६. छिन्न सूत्र--वस्त्र को कटा हुआ, चूहे आदि द्वारा खाया हुआ, जला हुआ, स्याही आदि से भरा हुआ देखकर शुभाशुभ कहना छित्र निमित्त है। २७ भौम सूत्र--पृथ्वी को देखकर—“यहाँ धन है. यहाँ खारा पानी है, यहाँ मीठा पानी है' आदि कहना भौम निमित्त है। २८. स्वप्न सूत्र-स्वप्न का शुभाशुभ फल कहना स्वप्न निमित्त २९. अन्तरिक्ष सूत्र--सूत्र, चन्द्र, नक्षत्र आदि के उदय, अस्त या आकृति आदि को देखकर शुभाशुभ कहना अन्तरिक्ष निमित्त है । ये २९ पाप सूत्र हैं। अथवा अट्ठारस य पुराणो, सउंग विण्णास लोयणाणं तु । बुद्धाई पंच समया परूवणा जासुदे लोए ।। १८ पुराण, लोगों के छह अंगों के विन्यास का वर्णन तथा बुद्धि के समय की प्ररूपणा जिनमें हों ऐसे शास्त्र, इनके भेद पाँच हैं। ३०. तीस प्रकार के मोहनीय स्थान–१४ प्रकार के बहिरंग परिग्रह हिरण्य सुवर्णादि और अन्तरंग १० प्रकार का परिग्रह रूप मिथ्यात्वादिभाव तथा पाँच इन्द्रिय और छठे मन से मोह जनित संबंध रखने के कारण १०+१४+५+१-३०।
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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