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________________ ३०७ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका ५ प्रकार का विनय, अध्ययन व व्यवहार धर्म क्रिया का वर्णन करने वाला सूत्रकृताङ्ग है, सम्पूर्ण द्रव्यों के क्रमश: एक से लेकर अनेक स्थानों का वर्णन करने वाला स्थानाङ्ग है, समस्त द्रव्य में द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा समानता का वर्णन करने वाला समवायाङ्ग है, जीव द्रव्य के सम्बन्ध में ६००० प्रश्नों का समाधान करने वाला व्याख्याप्रज्ञप्ति अंग हैं, तीर्थंकरादि महापुरुषों के वैभव व गुणों का वर्णन करने वाला ज्ञातृकथाङ्ग है, श्रावकों के आचार का कथन करने वाला उपासकाध्ययनाङ्ग है, प्रत्येक तीर्थंकर के तीर्थकास में 17-१. मुनि उसमानी हो मुसा सुर इनका वर्णन करने वाला अन्तकृदशाङ्ग है, महोपसर्ग सहन कर विजयादि विमानों के उत्पन्न हुए उनका वर्णन करने वाला अनुत्तरोपपादिक दशाङ्ग है, तीन काल में लाभ-अलाभ व चार प्रकार की कथाओं का वर्णन करने वाला प्रश्नव्याकरण अङ्ग है तथा द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव के अनुसार कर्मफलों का वर्णन करने वाला विपाकसूत्राङ्ग है । इन अङ्गों में ४ करोड १५ लाख २ हजार पद हैं । ग्यारह अङ्ग रूप पूर्ण श्रुतज्ञान को मैं नमस्कार करता हूँ। दृष्टिवाद (बारहवें) अंग की स्तुति परिकर्म च सूत्रं च स्तौमि प्रथमानुयोग-पूर्वगते । सार्द्ध चूलिकथापि च पंचविधं दष्टिवादं च ।।९।। अन्वयार्थ ( परिकर्म च सूत्रं च प्रथमानुयोग पूर्वगते सार्द्ध चलिकयापि च) परिकर्म सूत्र, प्रथमानुयोग, पूर्वगत और चूलिका सहित ( पञ्चविध दृष्टिचादं ) पाँच प्रकार के दृष्टिवाद अङ्ग की ( स्तौमि ) मैं स्तुति करता हूँ। भावार्थ-दृष्टिवाद नामक बारहवाँ अङ्ग है, इसके पाँच भेद हैं १. परिकर्म २. सूत्र ३. प्रथमनुयोग ४, पूर्वगत और ५. चूलिका इन सबकी मैं स्तुति/वन्दना करता हूँ। . परिकर्म—जिसमें गणित की व्याख्या कर उसका पूर्ण विचार किया हो उसको परिकर्म कहते हैं। इसके पाँच भेद हैं- १. चन्द्रप्रज्ञप्ति २. सूर्यप्रज्ञप्ति ३. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति ४. द्वीपसागर प्रज्ञप्ति और ५. व्याख्या प्रज्ञप्ति । जिसमें चन्द्रमा की आयु, गति, विभूति आदि का वर्णन हो बह
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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