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________________ सत्यापन _ विमल का प्रबोधिनी लोया णमो अरहंताणं ........ सब्बसाहूर्ण ।।१।। वसारि मंगलं .......... धम्मं सरणं पयज्जामि ।। अड्डाइज्जीव .......... वोस्सरामि । [ कायोत्सर्ग ९ बार णमोकार मंत्र का जाप करें] थोस्सामि ....... मम दिसंतु ।।८।। __ आचार्य भक्ति सिद्ध-गुण-स्तुति-निरता-नुबूत रुषाग्नि-जाल बहुल-विशेषान् । गुप्तिभि-रभिसम्पूर्णान् मुक्ति-युतः, सत्य-वचन-लक्षित-भावान् ।।१।। मुनि-माहात्म्य-विशेषाजिन शासन-सनदीप-भासुर- मूर्तीन् । सिद्धि प्रपित् सुमनसो बद्ध-रजो विपुल-मूल- यातन-कुशलान् ।। २।। गुण-मणि-विरचित-वपुषः षड्. द्रव्य-विनिश्चितस्य धातॄन्सततम् । रहित-प्रमाद-चर्यान् दर्शन-शुद्धान्, गणस्य संतुष्टि-करान् ।।३।। मोह-च्छिन-तपसः प्रशस्त परिशुद्ध-हृदय-शोभन व्यवहारान् । प्रासुक-निलया-नया-नाशा विध्वंसि चेतसो-हत-कुपवान् ।।४।। धारित-विलसन्मुण्डान्वर्जित बहुदण्ड-पिण्ड-मण्डल-निकरान् । सकल-परीवह-जयिनः क्रियाभि रनिशं प्रमादतः परिरहितान् ।।५।। अचलान व्यपेत-निद्रा स्थान युतान् कष्ट-दुष्ट-लेश्या-होनान् ।
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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